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क्यूआर स्कैन के जरिए साइबर अपराधी दे रहे ठगी को अंजाम

बलिया अब जालसाजी का तरीका बदल रहा है। साइबर अपराधी कभी बैंक अधिकारी बनकर भोलीभाली जनत

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 09:58 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 09:58 PM (IST)
क्यूआर स्कैन के जरिए साइबर अपराधी दे रहे ठगी को अंजाम
क्यूआर स्कैन के जरिए साइबर अपराधी दे रहे ठगी को अंजाम

बलिया: अब जालसाजी का तरीका बदल रहा है। साइबर अपराधी कभी बैंक अधिकारी बनकर भोलीभाली जनता को ठगी का शिकार बना रहे हैं तो कभी क्रेता व विक्रेता बनकर लोगों का एकाउंट खाली कर दे रहे हैं। इन दिनों जालसाज ठगी के लिए एक नये तरीके के रुप में क्यूआर कोड का धड़ल्ले से प्रयोग कर रहे हैं। इसके जरिये जालसाज खरीददार या विक्रेता बनकर लोगों को भुगतान में आसानी के लिए एक क्यूआर कोड भेजकर स्कैन करने के लिए कह रहे हैं।

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क्यूआर कोड स्कैन करते ही खाते में मौजूद रकम जालसाजों के खाते में पहुंच जा रही है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति आपको क्यूआर कोड स्कैन कराकर खाते में पैसे भेजने की बात करे तो तुरंत सावधान हो जाइये क्योंकि क्यूआर कोड सिर्फ भुगतान करने के लिए होता है, रकम प्राप्त करने के लिए नहीं।

आजकल घर के पुराने सामान, गाड़ी, टीवी, फ्रीज व कूलर सहित अन्य सामग्री बेचने के लिए लोग कई साइट्स और एप का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके जरिए खरीदार लोगों से संपर्क साधकर सामान की कीमत तय करते हैं। जैसे ही किसी विक्रेता की ओर से रिस्पांस मिलने लगता है वैसे ही जालसाज सक्रिय हो जाते हैं। एडवांस की रकम के रूप में कुछ पैसे भी विक्रेता को भेज देते हैं। इसके बाद सामान खरीदने के लिए बची हुई रकम को देने के लिए असली खेल शुरू होता है।

क्यूआर कोड स्कैन करते ही खाता हो सकता है खाली

रुपये का ट्रांजेक्शन करने के लिए खरीदार की तरफ से एक क्यूआर कोड जेनरेट कर भेज दिया जाता है। विक्रेता को लगता है कि इससे रकम आसानी से मिल जाएगा। खरीदार के झांसे में आकर जैसे ही विक्रेता मोबाइल फोन पर क्यूआर कोड को फोन पे, गूगल पे, यूपीआई पर स्कैन करते हैं। उनके एकाउंट में रकम आने के बजाय उड़ा ली जाती है। बचाव के उपाय

-अगर कोई क्यूआर कोड भेजकर आपसे भुगतान मांग रहा है, तो सावधान हो जाएं ।

-अगर वेबसाइट पर पे लॉग इन करते हैं तो लॉगआउट करना ना भूलें ।

-साइबर कैफे में इंटरनेट बैकिग का प्रयोग कभी ना करें।

-गूगल पर हेल्पलाइन नंबर सर्च ना करें।

-पायरेटेड सॉफ्टवेयर से सावधान रहें। अपडेटेड वर्जन का इस्तेमाल करें ।

-सोशल मीडिया पर दोस्तों से मिले लिक पर क्लिक करने से पहले जरूर सोचे। इसका रखें ध्यान

क्यूआर कोड केवल भुगतान करने के लिए प्रयोग होता है। क्यूआर कोड की स्कैनिग से बचना चाहिए और संदिग्ध पतों से आई ईमेल, वाट्सएप व टेक्स्ट संदेशों का जवाब नहीं देना चाहिए। अंजान स्त्रोत से मिले किसी भी लिक को टैप न करें तथा क्यूआर कोड को स्कैन न करें।

दवा व्यापारी से हुई थी ठगी

सदर कोतवाली क्षेत्र के सिनेमा रोड स्थित प्रकाश मेडिकल के शुभम प्रकाश गुप्ता पुत्र श्रीप्रकाश गुप्ता के खाते से साइबर ठगों ने 31500 रुपये उड़ा दिए। दवा व्यवसायी शुभम के मोबाइल फोन पर एक काल आया। उन्होंने बताया कि आर्मी कैंटीन में कार्यरत है और उसे सेनेटाइजर खरीदना है। इसके बाद उसने अपना क्यूआर कोड भेजा। बताया कि उसे रिसीव करते ही पैसा आ जाएगा। दवा व्यवसायी ने जैसे ही इस कोड को ओपेन किया, उसके खाते से तीन बार में 10-10 हजार व 1500 रुपये कट गया। यह देख दवा व्यवसायी सन्न रह गए। ----------वर्जन-------------

क्यूआर कोड केवल भुगतान करने के लिए प्रयोग होता है, धन प्राप्त करने के लिए नहीं। क्यूआर कोड की स्कैनिग से बचना चाहिए और संदिग्ध पतों से आई ईमेल, वाट्सएप व टेक्स्ट संदेशों का जवाब नहीं देना चाहिए। अंजान स्त्रोत से मिले किसी भी लिक को टैप न करें तथा क्यूआर कोड को स्कैन न करें ।

विजय श्रीवास्तव, साइबर क्राइम विशेषज्ञ। -----------वर्जन-------

अपरचित से किसी तरह की आनलाइन खरीदारी ने करें। इस तरह के व्यवसाय से बचाना चाहिए। इससे आप ठगी के शिकार हो सकते है। साइबर सेल के माध्यम से इस तरह की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

-देवेंद्र नाथ, पुलिस अधीक्षक, बलिया


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