बेर ने बिगाड़ा जांच का हाजमा, पढ़ने नहीं आए छात्र
जैदोपुर प्राथमिक विद्यालय में छात्रा गुंजन की मौत की घ
जागरण संवाददाता, बांसडीहरोड (बलिया) : जैदोपुर प्राथमिक विद्यालय में छात्रा गुंजन की मौत की घटना के बाद गुरुवार को विद्यालय में सन्नाटा पसरा रहा। समय से अध्यापकों की उपस्थिति तो हुई लेकिन एक भी विद्यार्थी ने विद्यालय में पांव नहीं रखे। सब प्रधानाध्यापक और शिक्षकों को दोषी मान रहे हैं। छात्रा की मौत बेर के बीज से हो सकती है, यह बात परिजनों को पच नहीं रही है। खंड शिक्षा अधिकारी बांसडीह की जांच पर प्रधानाध्यापक शिव कुमारी यादव को निलंबित कर दिया गया है। एमडीएम का भोजन और बेर की सैंपलिग कराकर जांच के लिए भेज दिया गया है, दूसरे दिन गले में बेर फंसने की थ्योरी गले उतरती नहीं दिख रही है। परिजनों में अध्यापकों के प्रति तीव्र आक्रोश
घटना के बाद बेसुध पड़ी गुंजन की मां रूबी देवी का आरोप है कि विद्यालय में गुंजन की हालत खराब होने के बाद भी कोई जिम्मेदार सूचना देने तक घर नहीं आया। उसे तत्काल चिकित्सकीय सुविधा मिलती तो जान बच सकती थी। जिस बेर के बीज को गले में अटकने से गुंजन की मौत के कयास लगाए जा रहे हैं।
बोले चिकित्सक--श्वास नली में बीज फंसने से हो सकती मौत
जिला अस्पताल के चिकित्सक नाक, कान गला रोग विशेषज्ञ डा. मिथिलेश सिंह व सर्जन डा. सौरभ सिंह से बात करने पर उन्होंने बताया कि शरीर में श्वांस नलिका (ट्रेकिआ) और खाने की नली होती है। श्वांस नली मुंह से फेफड़ों तक हवा पहु्चाती है। बेर का बीज यदि खाने की नली में जाए तो आदमी बच सकता है लेकिन श्वांस नली में फंस जाए तो मौत संभव है।
जांच के बिदु
बच्ची की मौत के बाद कई तथ्य सामने आ रहे हैं। जांच के बिदु यह भी हो सकते हैं कि बच्ची जो बेर खा रही थी, उसकी साइज क्या थी। चिकित्सक बताते हैं कि मनुष्य के श्वांस नली की चौड़ाई 21 से 27 मिलीमीटर और लंबाई 10 से 16 मिली मीटर होती है। छह साल की बच्ची के श्वांस नली की की साइज इसके एक तिहाई हो सकती है।
घटना के बाद विद्यालय के बच्चों से कई एंगल पर बात की गई। बच्ची की मौत मध्याह्न भोजन से नहीं हुई है। वह बेर बैग में लेकर विद्यालय पहुंची थी। जांच के लिए बेर और मध्याह्न भोजन के नमूने भेज दिए गए हैं। लापरवाही पाए जाने पर शिक्षकों को नोटिस दिया गया है।
शिवनारायण सिंह, बीएसए