सब्जी की नर्सरी को अपनाया, बदल गई किस्मत
हनुमानगंज क्षेत्र के ब्रह्माइन निवासी श्रीप्रकाश वर्मा आज किसी परिचय के
जागरण संवाददाता, बलिया : हनुमानगंज क्षेत्र के ब्रह्माइन निवासी श्रीप्रकाश वर्मा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। सब्जी बीज नर्सरी की अगर किसी को जरूरत है तो वह उनके पास सीधे पहुंच जाता है। इसका कारण यह है कि वह जैविक विधि से सब्जियों की नर्सरी तैयार करते हैं। साथ ही बीज लगाने की जानकारी भी सब्जी के किसानों को देते हैं। इनका बीज हनुमानगंज क्षेत्र के अलावा सुखपुरा, सिकंदरपुर, नवानगर, बिल्थरारोड आदि जगहों पर थोक के भाव जाता है। इसकी गुणवत्ता भी उत्तम रहती है।
परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर श्रीप्रकाश वर्मा ने एमएस के बाद पढ़ाई छोड़ दी। इसके बाद कुछ समझ में नहीं आया तो खेती-बारी में जुट गए। सब्जी की खेती करने के साथ ही वह सब्जी बीज की नर्सरी का प्रयोग 2009 में किए। इसमें उन्हें काफी सफलता मिली। इसके बाद उन्होंने इसे अपना आधार बना लिया। इनके ऊपर परिवार के भाई की पढ़ाई व बहन की शादी की जिम्मेदारी थी। उन्होंने भाई वेद प्रकाश की पढ़ाई पूरी कराई। वह आज भोपाल के बीएचएल कंपनी में नौकरी कर रहा है, वहीं छोटी बहन की शादी भी किए। बताते हैं कि सब्जी की नर्सरी उगाने में थोड़ी सतर्कता बरतनी होती है। तैयार होने के बाद बेहतर परिणाम आते हैं। यह हमेशा फायदा ही देता है। छह माह में एक लाख से अधिक की नर्सरी बेच देते हैं। ऐसे तैयार करते नर्सरी
नर्सरी तैयार करने के लिए खेत की मिट्टी भुरभुरा बनाते हैं। इसकी छोटी व लंबी क्यारी बनाकर ट्राइकोडर्मा, सुडोमुनाम, गो-मूत्र, गोबर की सड़ी खाद मानक के हिसाब से मिलकर तैयार जैविक खाद को डाला दिया जाता हैं। इसमें बीज मिलाने के बाद ऊपर से नेट लगा दिया जाता है। तीन से चार दिन में बीज का अंकुरण होने लगता है। इसके बाद नेट को हटा दिया जाता है। जून से जनवरी तक चलता काम
सब्जी बीज की नर्सरी का काम जून से लेकर जनवरी तक चलता है। बताया कि इसके बाद खाली खेतों में सब्जी की बोआई की जाती है। इससे भी आमदनी हो जाती है। इनकी लगाते नर्सरी
गोभी, मिर्चा, टमाटर, प्याज, लाल मिर्चा, पत्ता गोभी, बैगन आदि।