सर्पदंश पर तुरंत पहुंचिए अस्पताल, वरना डस लेगी लापरवाही
जागरण संवाददाता बलिया बरसात में सर्पदंश की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। ऐसे दर्जनों गांव ह
जागरण संवाददाता, बलिया : बरसात में सर्पदंश की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। ऐसे दर्जनों गांव हैं, जहां सर्प दंश के बाद लोग झाड़-फूंक पर ज्यादा भरोसा करते हैं। चिकित्सीय व्यवस्था की याद उन्हें तब आती है जब पीड़ित के हालात काबू करने लायक नहीं होते। यही वजह है कि बलिया में 2020 में 50 मामले सर्पदंश के सामने आए थे, इनमें से करीब 24 लोगों की मौत इलाज में देरी होने के कारण हो गई। उधर, सेहत महकमा एंटी स्नेक वेनम की पर्याप्त उपलब्धता की बात कह रहा है। बता दें कि जिले में 18 सीएचसी, 13 ब्लाक स्तरीय पीएचसी, 66 न्यू पीएचसी और दो अरबन अस्पताल हैं। अभी के समय में 18 सीएचसी केंद्र पर प्रति केंद्र 150 से अधिक वायल मौजूद हैं। जिला अस्पताल में 509 वायल उपलब्ध हैं।
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केस 1 : यह घटना इसी साल अप्रैल की है। बैरिया थाना क्षेत्र के मधुबनी निवासी बरमेश्वर केशरी दुकान से सामान निकाल रहे थे कि उन्हें सर्प ने डस लिया। काफी देर के बाद उन्हें सीएचसी सोनबरसा ले जाया गया। उन्हें एंटी स्नेक वेनम भी लगाया गया लेकिन देर होने के कारण उनकी जान नहीं बच सकी। केस 2 : यह घटना जून की है। नरही थाना क्षेत्र के पलिया खास निवासी अरविद यादव पुत्र राम प्रवेश अपने दरवाजे पर झोपड़ी डालने की तैयारी में थे। सरपत के बोझ में छिपे सर्प ने उन्हें डस लिया। झाड़-फूंक के बाद परिजन उन्हें अस्पताल ले जाने लगे, लेकिन मरीज ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
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जिला अस्पताल में सप्ताह में पहुंचते तीन मरीज
जिला अस्पताल के इमरजेंसी में तैनात डा. सुमित सिंह ने बताया कि सप्ताह में सर्पदंश के तीन मरीज आते हैं। पिछले सप्ताह दो मरीज आए थे, उन्हें एंटी स्नेक वेनम के 10 डोज दी गई, इससे वह स्वस्थ होकर घर लौटे हैं।
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इंजेक्शन देने से पहले करते हैं मरीज का टेस्ट
जिला अस्पताल के चिकित्सक डा. मिथिलेश सिंह ने बताया कि सर्पदंश के केस में इंजेक्शन देने से पहले यह टेस्ट किया जाता है कि सर्प ने कैसे डसा। कई बार ऐसा भी होता है कि एंटी स्नेक वेनम लगाने के बाद मरीज की स्थिति बिगड़ने लगती है। इसलिए टेस्ट करने के बाद ही मरीज को जरूरत के हिसाब से इंजेक्शन दिए जाते हैं। औसतन तीन से पांच डोज में मरीज ठीक हो जाता है, लेकिन किसी-किसी मामले में 10 से 20 डोज तक भी देने पड़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि सांपों के दांतों में विष नहीं होते। ऊपर के छेदक दातों में विष ग्रंथि होती है। ये दांत कुछ मुड़े होते हैं। सांप के दांत जब धंस जाते हैं, तब उन्हें निकालने के प्रयास में सांप अपनी गर्दन ऊपर कर झटके से खींचता है। उस दौरान विष निकल कर काटे हुए स्थान तक पहुंच जाता है। सांप के काटने के बाद मरीज को तत्काल अस्पताल पहुंचकर इंजेक्शन लेना चाहिए।
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एंटी स्नेक वेनम की बाजारों में 500 रुपये कीमत
एंटी स्नेक वेनम की बाजारों में 500 रुपये कीमत है। ऐसे में यदि एक मरीज को 10 डोज की जरूरत पड़ी तो उसके 10 हजार रुपये खर्च हो जाएंगे। एक सामान्य परिवार के लिए यह बड़ी रकम है।
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जनपद में एंटी स्नेक वेनम की कोई कमी नहीं है। हर सीएचसी केंद्रों पर 150 से 200 वायल तक यह इंजेक्शन उपलब्ध है। अभी सांप काटने के मालमे कम संख्या में आ रहे हैं। सांप काटने के बाद मरीज तत्काल अस्पताल पहुंच जाए तो उसकी जान बच सकती है।
-- डा. राजेंद्र प्रसाद, तत्कालीन सीएमओ