भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा देने की अंकुर के सदस्यों ने उठाई मांग
जागरण संवाददाता सुखपुरा (बलिया) भोजपुरी समाज से जुड़े प्रबुद्धजनों भोजपुरी भाषा के साहित्यका
जागरण संवाददाता, सुखपुरा (बलिया): भोजपुरी समाज से जुड़े प्रबुद्धजनों, भोजपुरी भाषा के साहित्यकारों व साहित्यिक संस्था अंकुर के सदस्यों की बैठक हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भोजपुरी भाषा में बिहार के लोगों से वर्चुअल संवाद स्थापित करने पर खुशी जाहिर की। कहा कि निश्चित ही यह भोजपुरी के प्रति उनका सम्मान प्रकट करता है लेकिन यही सम्मान उन्हें संसद में भोजपुरी भाषा के प्रति दिखानी चाहिए।
पिछले छह सालों से शासन में होने के बाद भी भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा दिलाने का कोई प्रयास न करना भोजपुरी भाषा भाषियों को काफी खल रहा है। प्रधानमंत्री की दोहरी सोच से भोजपुरिया समाज के लोगों को दुखी करने वाला है। उन्हें यदि भोजपुरी से तनिक भी लगाव है तो वह संसद के मानसून सत्र में इसे संवैधानिक मान्यता दिलाने का काम करें। अन्यथा यह समझा जाएगा कि यह सबकुछ केवल वोट के लिए किया जा रहा है। विश्व में करीब 25 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली भोजपुरी अपने ही देश में उपेक्षा का दंश झेल रही है। भोजपुरी को मॉरीशस ने द्वितीय राष्ट्रभाषा का दर्जा दे रखा है लेकिन यहां इसे आज तक संवैधानिक दर्जा तक नहीं मिल पाया।
यदि इसे संवैधानिक मान्यता मिली होती तो यह न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने साहित्यिक सुंदरता का डंका बजा रही होती। इस मौके पर बृजमोहन प्रसाद अनारी, कैलाशी बेचूराम, विजय बहादुर सिंह विकल, सुभाष, महावीर प्रसाद, विजय शंकर सिंह, अनिल सिंह, संजय राजभर, रवीन्द्र नाथ वर्मा, सिद्धार्थ सिंह, राजेंद्र सिंह आदि मौजूद थे।