30 साल बीते, तीन गांवों में नहीं हो पाई चकबंदी
तहसील क्षेत्र के तीन गांवों में चकबंदी प्रक्रिया को लेकर
जागरण संवाददाता, सिकंदरपुर (बलिया) : तहसील क्षेत्र के तीन गांवों में चकबंदी प्रक्रिया को लेकर लोगों के अंदर आक्रोश छाया हुआ है। सिसोटार, पूर व कठौड़ा गांव में 30 साल से शुरू की गई चकबंदी की प्रक्रिया खत्म होने का नाम नहीं ले रही रही है। किसानों का अब तक कब्जा दखल नहीं हो पाया है। चकबंदी के लिए 1992 में प्रक्रिया शुरू हुई थी। तब से अब तक यहां दर्जनों कर्मचारी व अधिकारी बदले जा चुके हैं। ग्रामीणों द्वारा जिलाधिकारी को पत्र भेजकर चकबंदी प्रक्रिया को तत्काल अंतिम रूप देने की मांग की गई है। चक्र के निर्धारण को लेकर लेखपाल व चकबंदी अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। वहीं जिन लोगों का बंटवारा किया जा रहा है, उसमें भी बड़े स्तर पर घालमेल हो रहा है। इसको लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश व्याप्त है। इधर कठौड़ा के किसानों को एक अदद खतौनी के लिए 50 किलोमीटर दूर बलिया जाना पड़ता है। 20 रुपये में मिलने वाली खतौनी के लिए 100 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। तीन गांवों में चकबंदी प्रक्रिया में देरी की जांच कराई जाएगी। साथ ही चकबंदी विभाग को तत्काल प्रक्रिया पूरी करने हेतु निर्देशित किया जाएगा।--प्रशांत नायक, उपजिलाधिकारी सिकंदरपुर।