नदी पार करने को ग्रामीणों ने बनाया लकड़ी का पुल
तीन हजार की आबादी के आवागमन का एकमात्र सहारा 400 घरों के निवासी इसी पुल का करते हैं इस्तेमाल
बहराइच : हम वो नहीं जो मुसीबतों से घबराकर हौसला तोड़ देते हैं, हम वो हैं जो मन में गर ठान लें हवाओं का रुख मोड़ देते हैं। कविता की यह पंक्तियां महसी ब्लाक के बंजरिया गांव के नागरिकों के हौसलों पर सटीक बैठती हैं। ग्रामीणों ने एकजुट होकर सरयू नदी पर आवागमन के लिए लकड़ी का पुल बना लिया।
बंजरिया गांव की आबादी करीब तीन हजार हैं। गांव के दूसरे छोर पर सरयू नदी बहती है। नदी के एक तरफ करीब तीन सौ मकान हैं, जबकि नदी के उस पार 100 घर बने हैं। इन्हें नदी में पानी होने पर खेती आदि के लिए जाने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से पुल बनवाने की मांग की, मगर कोई सार्थक पहल नहीं हुई। इसे देख ग्रामीणों ने आपस में चर्चा की। सभी ने करीब 40 से अधिक बांस-बल्ली नदी के बीच लगा दी। इसके ऊपर छोटे-छोटे लकड़ी के पटरे लगा दिए गए। अब इसी लकड़ी के पुल से आवागमन होता है। पुल बनने से पहले ग्रामीणों को पैदल नदी पार कर आवागमन करना पड़ता था। इसके बनने के बाद ग्रामीणों को काफी राहत मिली है। लोग पटरा-बल्ली से बने अस्थायी पुल से अपने खेतों तक पहुंचते हैं।
बोले ग्रामीण
गांव के मनाथ, अशोक मिश्र, राकेश मिश्र, प्रमोद, मुहम्मद सिपाही ने बताया कि पुल से चारपहिया वाहन तो नहीं जा सकते, लेकिन दोपहिया व पैदल यात्री आराम से आते-जाते हैं। उन्होंने बताया कि यहां पक्के पुल का बनाया जाना बहुत जरूरी है। नदी में अधिक पानी आ जाने से पुल से नदी पार करना जोखिम भरा साबित हो सकता है।
कोट
नदी पर पुल न होने की जानकारी की जाएगी। निर्माण के लिए संबंधित विभाग को पत्राचार किया जाएगा।
-हेमंत कुमार यादव, खंड विकास अधिकारी महसी