Move to Jagran APP

घंटा-घड़ियाल व अजान बनी हठीले की पहचान

बहराइच : जिला मुख्यालय से छह किमी दूर बहराइच-गोंडा व बहराइच-बलरामपुर हाइवे के बीच स्थि

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 12:18 AM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 12:18 AM (IST)
घंटा-घड़ियाल व अजान बनी हठीले की पहचान
घंटा-घड़ियाल व अजान बनी हठीले की पहचान

बहराइच : जिला मुख्यालय से छह किमी दूर बहराइच-गोंडा व बहराइच-बलरामपुर हाइवे के बीच स्थित ग्राम पंचायत नगरौर गंगा-जमुनी तहजीब की नजीर बनी है। गांव के बीच राम जानकी मंदिर, शिया, सुन्नी समुदाय की प्राचीन मजिस्द व हाइवे से सटे हठीले हनुमान मंदिर आश्रम शांति व श्रद्धा का मुख्य केंद्र हैं। यहां रहने वाले 70 फीसद परिवार की अर्थव्यवस्था दैनिक मजदूरी पर टिकी हुई है। गांव के चारों और संचालित ईंट उद्योग रोजगार सृजन का मुख्य जरिया है तो जगह-जगह लगे अमरूद के बाग इस गांव की खुशहाली की पहचान है।

loksabha election banner

इन पर नाज है : हाइवे से सटे मंदिर परिसर में पांच सौ वर्ष पुराना पीपल का पेड़ है। मान्यता है कि वर्ष 2005 में मंदिर की जमीन को भू-माफियों ने कब्जा कर लिया था। बताते हैं कि एक दिन तत्कालीन डीएम रहे अनुराग श्रीवास्तव को सपने में हनुमान जी के विशाल स्वरूप का दर्शन हुआ तो उन्होंने दूसरे ही दिन जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त करा दिया। सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर सबसे पहले मन्नत मांगने वाली जासो ग्वालिन इसी गांव की रहने वाली थी। जिमींदार मकबूल हैदर जाफरी ने गांव की तस्वीर बदलने के लिए जीवनभर संघर्ष किया तो भूतपूर्व सैनिक जियाउल्ला का देश प्रेम लोगों को प्रेरित कर रहा है। यह है नगरौर गांव की खूबी चित्र परिचय - 8बीआरएच 12 वासुदेवाचार्य जी महाराज मुहर्रम का पर्व इस गावं को ¨हदू-मुस्लिम एकता में पिरोए हुए है। राम जानकी ट्रस्ट के प्रबंधक महराज विष्णुदेवाचार्य कहते हैं कि हर साल नवंबर माह में राम विवाह के दिन विशाल मेला व भंडारे का आयोजन होता है। यहां का नवीं मुहर्रम के दिन 52 डंडे की मखमली कपड़े की ताजियां नगरौर के मुहर्रम पर्व की विशिष्टता की पहचान है। 40 गांव के लोग हजरत अमीरमाह चबूतरे पर एकत्र होकर मुहर्रम को मनाने के लिए एकत्र होते हैं। हिचकोले खा रहा गांव का आधारभूत ढांचा बहराइच : नगरौर अल्पसंख्यक बाहुल्य है। यहां 75 फीसदी आबादी मुस्लिम है। 30 फीसदी में पिछड़ा व सामान्य वर्ग के लोग निवास करते हैं। यहां की कुल आबादी 7000 है, जिसके सापेक्ष 3500 मतदाता हैं, जो चुनाव में मताधिकार का प्रयोग करते हैं। यहां की साक्षरता दर 60 फीसदी है। गांव की मुख्य सीसी रोड बदहाल है। जर्जर बिजली लाइन आए दिन आपूर्ति में रोड़ा बन रही है। इलाज के लिए ग्रामीण जिला अस्पताल पर निर्भर हैं, तो उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को मीलों दूर तय कर जिला मुख्यालय की राह पकड़ते हैं। शुद्ध पेयजल की जगी आस बहराइच : केंद्र सरकार व विश्व बैंक से सहायतित नीर निर्मल परियोजना को गांव में मूर्तरूप दिया गया है। 1.56 करोड़ की लागत से पानी टंकी का निर्माण कराया गया है। पाइप लाइन के जरिए हर घर को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की प्रक्रिया शुरू हो रही है। इससे गांव में शुद्ध पानी के संकट से जूझ रहे परिवारों को राहत मिलेगी। बदले ²ष्टिकोण तो बनेगी बात

चित्र परिचय - 8बीआरएच 13 ग्राम प्रधान हसमती बेगम ग्राम प्रधान हसमती बेगम गांव की मूलभूत समस्याओं को दूर करने के लिए विकास का मसौदा तैयार कर विभागों को उपलब्ध करा चुकी हैं। इनमें आंगनबाड़ी केंद्र व पीएचसी का निर्माण मुख्य है। सड़क व संपर्क मार्गों की मरम्मत को लेकर गंभीर हैं। पूर्व प्रधान नबी अहमद का कहना है कि उनके कार्यकाल में कराए गए कार्य ही पंचायत में दिख रहे हैं। नए कार्य कराना तो दूर पुराने कार्य की मरम्मत तक कराने में दिलचस्पी नहीं ली जा रही है। गांव की मुख्य समस्या बालिका शिक्षा का अभाव ईंट भट्ठों से निकल रही विषैली गैस बिछी जर्जर बिजली लाइन सड़क व नालियों का अभाव उपेक्षित पंचायत घर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.