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अखिलेश सरकार में मंत्री रहे राजा भैया के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा

पूर्वमंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनकी पत्नी सहित पांच के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 10 May 2017 06:59 PM (IST)Updated: Thu, 11 May 2017 12:08 AM (IST)
अखिलेश सरकार में मंत्री रहे राजा भैया के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा
अखिलेश सरकार में मंत्री रहे राजा भैया के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा

बहराइच(जेएनएन)। पूर्व मंत्री व प्रतापगढ़ के कुंडा विधानसभा क्षेत्र के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया व उनकी पत्नी भानवी सिंह समेत पांच लोगों के खिलाफ दरगाह थाने में धोखाधड़ी व जानमाल की धमकी समेत अन्य आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। न्यायालय ने 46 दिन पूर्व मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके बाद भी पुलिस रिपोर्ट नहीं दर्ज कर रही थी। न्यायालय ने जब एसओ को अवमानना में तलब किया तब जाकर एफआईआर दर्ज की गई। 

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प्रतापगढ़ जिले के मानिकपुर गोतनी निवासी राजीव कुमार यादव ने एसीजेएम के न्यायालय पर सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत अर्जी दी थी। उल्लेख किया गया कि  वह पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप उर्फ राजा भैया का वह जनसंपर्क अधिकारी था। राजीव ने पारिवारिक कारणों से पीआरओ का काम मार्च 2008 में छोड़ दिया था। इस बात से नाराज होकर राजा भैया उससे रंजिश रखने लगे। पूर्व मंत्री की पत्नी भानवी ङ्क्षसह एक कंपनी में बीमा एजेंट थीं। उनका सारा काम बहराइच निवासी रोहित प्रताप व उनकी पत्नी मोनिका देखती थी। काम छोडऩे के बाद राजीव को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई थी। जब उन्होंने काम छोड़ा तो उनके कुछ दस्तावेज वहीं रह गए। आरोप है कि इन दस्तावेजों के सहारे पूर्व मंत्री व उनकी पत्नी भानवी, रोहित व मोनिका ने साजिश करके उसके चेकबुक से चेक काटकर व फर्जी हस्ताक्षर से शाखा प्रबंधक की मिलीभगत से उसके नाम एक्सिस बैंक में उनके नाम से खाता खुलवा लिया। लाखों रुपये का लेनदेन भी किया। कालेधन को सफेद बनाने का कार्य भी किया। उन्हें जब जानकारी हुई तो शाखा प्रबंधक से पत्राचार किया, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया।  न्यायालय ने इस मामले में 24 मार्च को पूर्व मंत्री व उनकी पत्नी समेत पांच लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर विवेचना के आदेश थाना प्रभारी दरगाह शरीफ को दिए थे। दरगाह पुलिस मुकदमा दर्ज करने के बजाय पूरे मामले को 45 दिनों तक दबाने में जुटी रही। मुकदमा दर्ज न होने पर पीडि़त ने जब कोर्ट पर अवमानना की अर्जी दी तो पुलिस जाग गई और एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी।


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