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बाघों का दीदार करना हो तो आइए कतर्निया

1975 में मिला अभ्यारण्य का दर्जा

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Jul 2022 10:07 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2022 10:07 PM (IST)
बाघों का दीदार करना हो तो आइए कतर्निया
बाघों का दीदार करना हो तो आइए कतर्निया

बाघों का दीदार करना हो तो आइए कतर्निया

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बहराइच : अगर आप जंगल में स्वच्छंद विचरण करते बाघों का दीदार करना चाहते हैं तो कतर्निया वन्य जीव विहार चले आइए। यहां का अनुकूल वातावरण बाघों की तादाद बढ़ाने में कारगर साबित हो रहा है, हालांकि विभिन्न कारणों से बीते दस माह में चार बाघों को यह वन क्षेत्र गंवा चुका है। 550 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग को 1975 में अभ्यारण का दर्जा दिया गया। तब से यहां बाघों के संरक्षण को लेकर निरंतर प्रयास किए गए। इसका नतीजा रहा कि बाघों की संख्या बढ़कर 30 तक पहुंच गई, हालांकि बीते वर्ष अक्टूबर से इस वर्ष जुलाई तक का समय बाघों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण रहा। नौ अक्टूबर 2021 को एक बाघ का शव गिरजापुरी बैराज के डाउन स्ट्रीम में दो सौ मीटर की दूरी पर मिला। वन विभाग ने मौत का कारण डूबना बताया। इसके पश्चात 24 मई 2022 को कतर्नियाघाट रेंज कार्यालय के पीछे नर बाघ का शव मिला। पोस्टमार्टम से पता चला कि दूसरे बाघ से संघर्ष में इसकी मौत हुई है। इसी माह पिंजड़ा लगाकर पकड़ी गई मादा बाघिन को आदमखोर बता लखनऊ चिड़ियाघर भेज दिया गया और नर बाघ दुधवा नेशनल पार्क छोड़ा गया। इस प्रकार कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग ने अपने चार बाघों को खो दिया। फंदे में फंसी बाघिन को मिला जीवनदान दो माह पूर्व शिकारियों के फंदे में फंसी बाघिन की एक माह तक मचान पर कैमरे के माध्यम से निगरानी की गई। आखिरकार बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर फंदा काटा गया और उपचार करने के बाद स्वतंत्र रूप से विचरण के लिए घने जंगल में छोड़ दिया गया। बढ़ सकते हैं दस शावक जंगल क्षेत्र में प्रजनन में सक्षम मादा बाघ की संख्या दस के आसपास है। इसमें पांच के दस से अधिक बच्चों को जन्म देने की संभावना सामने आई है। कुछ बाघिन बच्चों के साथ देखी गईं हैं। इससे उम्मीद जताई जा रही है कि 2024 तक शावकों की संख्या में दस की बढ़ोतरी हो सकती है। उपलब्ध प्राकृतिक वास -बाघों के रहने एवं प्रजनन के लिए उपयुक्त जलवायु। - गेरुआ का कछार और बेंत की झाड़ियां बाघों की पसंदीदा आरामगाह। -गेरुआ एवं कौड़ियाला के साथ दो दर्जन तालाबों में पर्याप्त जल। -शिकार के लिए हिरन, नीलगाय, जंगली सुअर की अच्छी तादाद। कोट दुधवा से संबद्ध कतर्निया वन्य जीव विहार बाघों के प्राकृतिक वास के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। यही कारण है कि यहां निरंतर विचरण करते बाघों को पर्यटक एवं स्थानीय ग्रामीण देख रहे हैं। -आकाशदीप बधावन, प्रभागीय वनाधिकारी --------- -आठ माह के भीतर कतर्निया ने चार बाघ गंवाए हैं। दो की मौत हुई है, जबकि एक दुधवा और एक प्राणि उद्यान लखनऊ भेजा गया है। यह वन्यजीव प्रेमियों के लिए चिंता का विषय है। -भगवानदास लखवानी, अध्यक्ष कतर्नियाघाट फ्रेंड्स क्लब


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