समूहों को रोजगार के नए आयाम तलाशने की जरूरत
बहराइच : बैंकों के सहयोग से स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय सहायता दिलाकर आगे बढ़ाया जा सकता है। इस कार्य के लिए जिला व ब्लाक मिशन प्रबंधक, बैंक सखी एवं शाखा प्रबंधक में बेहतर ताल-मेल और आपसी सामंजस्य स्थापित करना जरूरी है। समूहों को रोजगार के नए-नए आयाम तलाशने की दिशा में अग्रसर रहने की भी जरूरत है।
यह सुझाव दिया मुख्य विकास अधिकारी कविता मीना ने। वह विकास भवन सभागार में आयोजित सूक्ष्म वित्त एवं वित्तीय समावेशन विषय पर कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। सीडीओ ने कहा कि ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को वित्तीय सेवाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित कराकर महिला सशक्तिकरण की दिशा में अच्छा प्रयास किया जा रहा है।
राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान हैदराबाद के नेशनल रिसोर्स पर्सन एस सुंदर ने कहा कि आरबीआई ने स्वयं सहायता समूहों को बैंक लिंकेज के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। उन्होंने जिले के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में स्वयं सहायता समूह व संगठन की भूमिका पर प्रकाश डाला।
नेशनल रिसोर्स पर्सन राजन बाबू ने समूहों को प्राप्त होने वाले रिवाल्विंग फंड एवं सामुदायिक निवेश निधि, सीसीएल के बारे में बताया। उपायुक्त एनआरएलएम केडी गोस्वामी ने बताया कि समूहों को बैंक के माध्यम से दिए जा रहे ऋण से महिलाएं आजीविका के नए आयामों से जुड़ रही हैं। डीपीएम अनुराग पटेल ने बताया कि वर्तमान में जिले में 14000 से अधिक समूहों का गठन किया जा चुका है। चार हजार से अधिक समूहों को बैंकों के माध्यम से ऋण दिलाया गया है। इस मौके पर एलडीएम अमित गौरव, डीडीएम नाबार्ड एमपी बरनवाल, दीपक गुप्त उपस्थित रहे।