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चौकस होता वन विभाग तो न जाती तेंदुए की जान

बहराइच : थाना रामगांव के खालेपुरवा के पास मादा तेंदुए को जलाकर व पीटकर मार डालने का मामला सुर्ख होता

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 May 2018 12:00 AM (IST)Updated: Tue, 29 May 2018 12:00 AM (IST)
चौकस होता वन विभाग तो न जाती तेंदुए की जान
चौकस होता वन विभाग तो न जाती तेंदुए की जान

बहराइच : थाना रामगांव के खालेपुरवा के पास मादा तेंदुए को जलाकर व पीटकर मार डालने का मामला सुर्ख होता जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि अगर वन विभाग चौकस होता तो तेंदुए की जान न जाती। इस बाबत मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भी भेजा गया है।

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रामगांव थाना क्षेत्र के नरहरगोंडा के छोटकऊ पुत्र इकबाल खां, शब्बू खां पुत्र नसीम खां, अब्दुल्ला खां पुत्र सईद खां, छब्बू खां, बसौना माफी के बाबूलाल, बेचन, जवाहरलाल, भुजंगे, रामकुंवारे समेत अन्य ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर कहा है कि आठ माह पूर्व वन विभाग ने शावक तेंदुआ को बसौना ग्राम के निकट खेत से पकड़कर लखनऊ चिड़ियाघर भेज दिया गया था। चिड़ियाघर भेजे गए शावक की मां मादा तेंदुआ मौजूद रही। अपने खोए हुए शावक के वियोग में आधा दर्जन ग्रामीणों पर हमला कर घायल कर दिया। इसकी सूचना वन विभाग के रेंजर डीके ¨सह व डीएफओ आरपी ¨सह, वन दारोगा दीपक ¨सह को दी जाती रही, लेकिन इन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। जब मादा तेंदुआ का हमला तेज हो गया तो ग्रामीणों ने उसे घेर लिया और मार दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि मादा तेंदुआ को पकड़कर सुरक्षित करने की अगर व्यवस्था की जाती तो शायद मादा तेंदुआ की जान बच जाती। दो वर्षों से स्थाई रूप से इस क्षेत्र में रह रही मादा तेंदुआ को पकड़कर संरक्षित करने में वन विभाग हीलाहवाली करता रहा। वन विभाग की शिथिलता के चलते जहां मादा तेंदुआ की मौत हो गई वहीं ग्रामीण हमले में जख्मी हो गए। ग्रामीणों ने दोषी वनाधिकारियों के खिलाफ जांच कराकर निलंबन की मांग की है।


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