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आदमखोर तेंदुए को तलाशेंगी जयमाला व चंपाकली

गेहूं की फसल बनी तेंदुए का हिसक वन्यजीव का रक्षा कवच गोंडा एवं श्रावस्ती से सहायता के लिए बुलाई गई टीम

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 09:29 PM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 09:29 PM (IST)
आदमखोर तेंदुए को तलाशेंगी जयमाला व चंपाकली
आदमखोर तेंदुए को तलाशेंगी जयमाला व चंपाकली

मुकेश पांडेय, बहराइच : महज तीन दिन के भीतर दो बच्चों को निवाला बनाने के बाद बीती शाम पांच वर्षीय बालिका को निशाना बनाने वाले तेंदुए के लिए गेहूं की फसल रक्षाकवच बन चुकी है। खड़ी फसल की ऊंचाई औसतन दो फिट होने के कारण तेंदुए की लोकेशन बता पाने में ड्रोन कैमरा भी विफल साबित हो रहा है। सख्त जमीन पगचिह्न बनने नहीं दे रही है। ऐसे में आदमखोर तेंदुए की तलाश के लिए गोंडा एवं श्रावस्ती से चार-चार सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम बुलाई गई है। इसके साथ ही कतर्निया वन्य जीव प्रभाग की हथिनी जयमाला व चंपाकली की मांग की गई है।

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बीते शनिवार यानि 20 मार्च को थाना खैरीघाट के रायगंज गांव में आठ वर्षीय बालक रवि को शिकार बनाने वाले तेंदुए ने सोमवार की देर शाम चौकसाहार गांव में पांच साल की शिवानी नामक बालिका को निवाला बना लिया। दोनों गांवों में घटना के समय अंधेरा था। बुधवार की शाम ग्राम नेवादा पूरे कस्बाती में सायंकाल साढ़े छह बजे तेंदुए ने धावा बोल कर लीलाराम यादव की पांच वर्षीय पुत्री रिकी देवी को निशाना बनाया। इसके बाद तेंदुए के मोतीपुर जंगल की ओर चले जाने के संकेत मिले हैं।

सरयू नदी के किनारे आबाद इन गांवों के बीच की दूरी सात किलोमीटर के अंदर है, जिसे भोजन कर तलाश में तेंदुआ रात भर में आसानी से तय कर लेता है। इस वजह से उसका पता लगाना वन विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। ऐसे में ड्रोन कैमरे से मैपिग के साथ ही कांबिग के लिए हथिनी जयमाला व चंपाकली की मांग डीएफओ कतर्नियाघाट को पत्र भेज कर की गई है। ..तो वृद्ध या चोटिल होना तो वजह नहीं

बच्चों को शिकार बनाने की वजह तेंदुए का वृद्ध, कमजोर या चोटिल होना हो सकता है। जानकारों के मुताबिक गांव में आने के बावजूद बकरी, बछड़ा, कुत्ता को शिकार न बनाने की वजह उसका दौड़ने में सक्षम न होना है।

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सरयू के किनारे चार स्थानों पर लगा पिजरा

हिसक तेंदुए की तलाश में दस किलोमीटर के बीच सरयू के किनारे चार स्थानों पर पिजरा लगाया गया है। रायगंज, चौकसाहार, बेलमकान के अलावा नेवादा में पिजरा लगाया गया है। पिजरों के आसपास कैमरे भी लगाए गए हैं। दो स्थानों पर चारे के रूप में बकरी को पिजरे के बाहर बांधा गया है। वन कर्मियों को सायंकाल गांव की पटाखे छोड़ने के लिए उपलब्ध कराए गए हैं, ताकि तेज आवाज सुनकर तेंदुआ विपरीत दिशा में भाग जाए।

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गेहूं की खड़ी फसल और जमीन का कड़ापन तेंदुए की तलाश में बाधक है। उसकी तलाश के लिए चार स्थानों पर पिजरा लगाने के साथ कांबिग के लिए विशेष टीम लगाई गई है।

-मनीष सिंह, प्रभागीय वनाधिकारी बहराइच


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