शिकार पर शिकार फिर भी आदमखोर नहीं
कांबिग के लिए कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग से नहीं मिली हथिनी पिजरा एवं ड्रोन कैमरे से वन टीमें करेंगी तेंदुए की तलाश
मुकेश पांडेय, बहराइच : शिकार पर शिकार, फिर भी तेंदुए का आदमखोर घोषित होना सहज नहीं है। वन विभाग के मानक के अनुरूप हिसक जीव को आदमखोर घोषित करने की प्रक्रिया काफी जटिल है। यही कारण है कि दो बच्चों को निवाला बना चुके तेंदुए को आदमखोर घोषित करने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो सकी है। कांबिग के लिए कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग से हथिनी भी अब तक नहीं मिल सकी है। हालांकि ट्रैंकुलाइज कर तेंदुए को पकड़ने की अनुमति मिल जाने से स्थानीय वन अधिकारियों ने राहत की सांस ली है। इससे बहराइच वन प्रभाग के लिए हिसक वन्य जीव की तलाश के लिए पिजरा एवं ड्रोन कैमरे पर निर्भरता बढ़ गई है।
खैरीघाट थाना क्षेत्र में तेंदुआ आतंक का पर्याय बना हुआ है। 20 मार्च को रायगंज गांव में आठ वर्षीय बालक रवि को शिकार बनाने वाले तेंदुए ने 23 मार्च को देर शाम चौकसाहार गांव में पांच साल की शिवानी नामक बालिका को निवाला बना चुका है। 25 मार्च की शाम ग्राम नेवादा पूरे कस्बाती में सायंकाल साढ़े छह बजे तेंदुए ने धावा बोल कर लीलाराम यादव की पांच वर्षीय पुत्री रिकी देवी को घायल कर चुका है। बावजूद इसके, तेंदुए को आदमखोर घोषित कर पाना नामुमकिन है। क्योंकि अब तक केवल एक जगह ही मानव मांस खाने का संकेत मिला है, जबकि चार से पांच शिकार के बाद ही आदमखोर घोषित होने की प्रक्रिया शुरू होती है। ऐसे में ड्रोन कैमरा एवं पिजरा ही तेंदुए की तलाश करनी होगी। नेवादा एवं रायगंज में लकड़बग्घा के सक्रिय होने के संकेत
- प्रभागीय वनाधिकारी मनीष सिंह का कहना है कि पठानपुरवा चौकसाहार में तेंदुए ने ही बच्चे को निवाला बनाया, लेकिन नेवादा एवं रायगंज में लकड़बग्घा के सक्रिय होने के संकेत मिले हैं। उधर पठानपुरवा चौकसाहार में लगाए गए पिजरे में कुत्ता फंस गया। चार स्थानों पर पिजरा लगाने के साथ कांबिग के लिए विशेष टीम लगाई गई है। तेंदुए को पकड़ने के लिए ट्रैंकुलाइज की अनुमति मिल गई है।
-मनीष सिंह, प्रभागीय वनाधिकारी बहराइच