Move to Jagran APP

बकरी पालन कर स्वावलंबी बनें किसान: डॉ. सिंह

व्यवसायिक बकरी पालन पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण शुरू

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 10:49 PM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 05:07 AM (IST)
बकरी पालन कर स्वावलंबी बनें किसान: डॉ. सिंह
बकरी पालन कर स्वावलंबी बनें किसान: डॉ. सिंह

जासं, बहराइच : कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच सभागार में गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अ‌र्न्तगत प्रवासी श्रमिकों के लिए तीन दिवसीय व्यवसायिक बकरी पालन पर प्रशिक्षण का आरंभ हुआ। प्रशिक्षण में 35 प्रवासी श्रमिकों ने प्रतिभाग किया। केंद्र प्रभारी डॉ. एमपी सिंह ने बताया कि बकरी पालन आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों की जीविकोपार्जन का एक महत्वपूर्ण साधन है। व्यवसायिक रूप से बकरी पालन को चारागाह व बाड़े से किया जा सकता है। बकरियां तेजी से बढ़ने वाली पशु हैं। डेढ़ वर्ष में दूध देना प्रारंभ कर देती हैं। बकरियों की सर्वाधिक नस्लें जैसे सिरोही, मारवाड़ी, बीटल, जखराना, बारबरी जमुनापारी, मेहसाना इत्यादि पाई जाती हैं। ये नस्लें दूध और मांस दोनों के लिए उपयोगी है।

loksabha election banner

विज्ञानी डॉ. शैलेंद्र सिंह ने बताया कि अगर अच्छा चारागाह उपलब्ध है तो बकरियों के लिए खर्चीले आहार की आवश्यकता नहीं पड़ती। गर्मियों के मौसम में बकरियों को सुबह और शाम चरने के लिए छोड़ देना चाहिए और सर्दियों में ओस के सूखने पर ही चारागाह में भेजना चाहिए। गर्भवती बकरियों को प्रतिदिन चराने के साथ 250 से 400 ग्राम दाना प्रतिदिन देना आवश्यक है। उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एसके रावत ने बताया कि अन्य पशुओं की तरह बकरियां विभिन्न रोगों से पीड़ित होती हैं। इन्हें दवाइयां एवं टीके समय-समय पर लगवाने चाहिए। प्रशिक्षण समन्वयक रेनू आर्या ने बताया कि बकरी का दूध पीने से कैल्शियम की कमी पूरी होती है। प्रगतिशील कृषक शक्तिनाथ सिंह ने भी संबांधित किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.