इंसानों व वन्यजीवों में बढ़ रहा संघर्ष, जा रही जान
बहराइच : कतर्नियाघाट संरक्षित वन्य जीव क्षेत्र में रहने वाले वनराज के कदम अब आबादी की ओर बढ़ रहे हैं
बहराइच : कतर्नियाघाट संरक्षित वन्य जीव क्षेत्र में रहने वाले वनराज के कदम अब आबादी की ओर बढ़ रहे हैं। जंगल से निकल कर ग्रामीण इलाकों में प्रवेश करने के साथ ग्रामीणों व मवेशियों पर लगातार हो रहे जानलेवा हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक साल के अंतराल में तकरीबन 15 लोग अपनी जान से हाथ धो चुके है। दर्जनों की संख्या में लोग तेंदुओं के हमले में घायल भी हुए है। जंगलवर्ती गांवों में वनराज का खौफ दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। लगातार हो रहे हमलों से आजिज ग्रामीणों और वन्यजीवों में टकराव भी बढ़ता रहा है। संघर्ष के दौरान वन्यजीवों पर भी संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। तेंदुए के हमले में हुई मौतों का विवरण
केस एक- 13 जुलाई कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग से सटे मोतीपुर थाना क्षेत्र के नौसर गुमटिहा निवासी मुकेश चौहान (10 साल) को तेंदुए ने अपना निवाला बनाया।
केस दो- रामगांव थाना क्षेत्र के मुकेरिया निवासी संजय (7 साल) को तेंदुए ने अपना निवाला बना लिया।
केस तीन- 24 अक्टूबर कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के खल्लनपुरवा निवासी गंगा सागर (11) को तेंदुए ने निवाला बनाया।
केस चार- 27 नवंबर को कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग गडरियनपुरवा निवासी ममता (12) भी तेंदुए का निवाला बनी।
केस पांच- 30 नवंबर कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के सुजौली रेंज के तेलियनपुरवा निवासी इनायत (12) भी तेंदुए का निवाला बन गया।
केस छह- सात दिसम्बर को कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के मूर्तिहा रेंज के खैरीगंगापुर अनिल कुमार (30) को मौत के घात उतारा।
केस सात- 15 दिसम्बर मोतीपुर के धर्मापुर निवासी नूर मुहम्मद (8) को तेंदुए ने अपना निवाला बनाया।
केस आठ- 26 मई कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के सटे वर्दिया गांव निवासी कौशल्या (70) की तेंदुए के हमले में मौत।
यह चंद घटनाएं मात्र बानगी है। तेंदुए के हमले में अब तक तकरीबन 50 से अधिक लोग घायल हो चुके है। लगातार बढ रहे हमले से जहां ग्रामीण खौफजदा हो रहे है। वही जंगल से निकल कर आबादी की ओर बढ रहे वनराज के कदम को लेकर वन्य जीव प्रेमी भी ¨चतित है।
बढ़ रहा संघर्ष, जा रही जान
जंगल से निकल कर आबादी की ओर बढ रहे तेंदुए और ग्रामीणों में संघर्ष में तेंदुए की भी जान जा रही है। रविवार को रामगांव थाना क्षेत्र के धोबिया गांव में घुसे तेंदुए ने हमला कर तकरीबन छह ग्रामीणों को घायल कर दिया। सैकड़ों की संख्या में एकत्रित हुए ग्रामीणों ने तेंदुए को घेर लिया। ग्रामीणों ने तेंदुए को पीट पीटकर मार डाला। इससे पहले भी कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग से सटे जंगलवर्ती गांव में अलग अलग स्थानों पर ग्रामीणों ने घेराबंदी कर तीन तेंदुओ को पीट पीटकर मार डाला था।
पकड़े गए छह तेंदुए
तेंदुए व ग्रामीणों के संघर्ष के बाद सक्रिय हुए वन विभाग के कर्मचारियों ने तेंदुवों को पकड़ने के लिए चि¨हत किए गए स्थानों पर ¨पजड़ा लगाया। कई बार तेंदुआ ¨पजड़े में बंधे शिकार को अपना निवाला बनाकर भाग गया। रामगांव थाना क्षेत्र में आतंक का पर्याय बने तेंदुए को 28 जुलाई को कड़ी मशक्कत के बाद ¨पजड़ में कैद किया गया। 14 अक्टूबर को रामगांव थाना क्षेत्र के रेहुवा मंसूर में वन विभाग ने ¨पजड़ा लगाकर मादा तेंदुए को पकड़ा। एक साल के अंतराल में छह तेंदुवों को वन विभाग पे ¨पजड़े में कैद कर प्राणी उद्यान लखनऊ भेजा।
गन्ने की फसल तेंदुए के लिए बनी मुफीद
डीएफओ ज्ञान प्रकाश ¨सह ने बताया कि जंगल से सटे इलाकों के आसपास ग्रामीणों द्वारा लगाई गई गन्ने की फसल तेंदुओ को जंगल सा माहौल देती है। इस कारण अक्सर तेंदुए जंगल क्षेत्र से भटक रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर जाते है। खेतों में छिपकर बैठे तेंदुओ के आसपास एकाएक ग्रामीणों की आमद होने पर वे हमलावर हो जाते है। ऐसी स्थित में वन्यजीवों और ग्रामीणों में संघर्ष की स्थित बन जाती है।