वनकर्मियों की पर्ची का खेल, वीरान हो रहा कतर्निया जंगल
कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में वनकर्मियों के खेल से नेपाली वन माफियाओं की घुसपैठ जारी है। कतर्निया जंगल वीरान हो रहा है। नेपाली वन माफिया धड़ल्ले से यहां की लकड़ी काटकर सीमा पार पहुंचा रहे हैं।
संसू, बिछिया(बहराइच) : कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में वनकर्मियों के खेल से नेपाली वन माफियाओं की घुसपैठ जारी है। कतर्निया जंगल वीरान हो रहा है। नेपाली वन माफिया धड़ल्ले से यहां की लकड़ी काटकर सीमा पार पहुंचा रहे हैं।
कतर्नियाघाट जंगल नेपाल से सटा हुआ है। वन माफियाओं और शिकारियों की घुसपैठ यहां जारी रहती है। कतर्नियाघाट वन रेंज के बीट संख्या दो गेरुआ नदी के पार पड़ता है। यह क्षेत्र नेपाल की सीमा पर ही है। इसका फायदा वन कर्मियों से गठजोड़ कर नेपाली उठा रहे हैं। वन कर्मी आसपास के नेपाली गंवों के लोगों को एक-एक हजार रुपये लेकर पर्ची दे रहे हैं। इस पर्ची पर उनका नाम और पता लिखा होता है। पर्ची तीन महीनों के लिए मान्य होती है। पर्ची दिखाकर नेपाली नागरिक कतर्निया जंगल में घुसकर यहां बेशकीमती लकड़ियों को काट रहे हैं। प्रतिबंधित दमदमा ताल से मछलियों का शिकार भी किया जा रहा है। नेपाल के बर्दिया जिले के टपरा, परवईपुर, भगतपुरवा, इसरीगंज, तिनघरवा, बनियापुर, धुंधीपुर, झपरी, नर्सरीपुर, खैरी समेत अन्य गांवों के 300 लोगों को पर्ची जारी की गई है। इसके बाद भी वन विभाग के अधिकारियों को इसकी कोई जानकारी नहीं है। वन क्षेत्र में आरा चलाकर पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचाया ही जा रहा है। साथ ही जंगल की सुंदरता को भी नष्ट किया जा रहा है। उपप्रभागीय वनाधिकारी यशवंत ने बताया कि अगर ऐसा है तो गंभीर विषय है। इसकी गहनता से जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।