सर्दी की पहली बारिश से किसानों के चेहरे खिले
बहराइच : पानी बरसे आधे पूस, आधा गेहूं आधा भूस। यानी यदि आधे पूस में बारिश होती है तो आध
बहराइच : पानी बरसे आधे पूस, आधा गेहूं आधा भूस। यानी यदि आधे पूस में बारिश होती है तो आधा गेहूं और आधा भूसा होता है। रबी की फसल के लिए यह वर्ष बहुत ही लाभदायक होती है। घाघ की यह कहावत तराई में इन दिनों सटीक बैठ रही है। सर्दी की पहली बारिश ने तराई के किसानों के चेहरे खिला दिए हैं।
फसल पकने तक अगर बदमिजाज मौसम की नजर न लगी तो 170810 हेक्टेअर क्षेत्रफल में अपनी जकड़ मजबूत बनाने में लगे गेहूं के नन्हें पौधे, 5498 व 8810 हेक्टेअर जमीन पर पीली चादर ओढ़ रही सरसों और तोरिया, 1835 हेक्टेअर रकबे पर दानों से भर रही मटर की फलियां और 358 हेक्टेअर क्षेत्रफल में फैले चने के खेत बता रहे हैं कि इस बार अनाज से किसानों की कोठरियां भर जाएंगी। 1215 हेक्टेअर क्षेत्रफल में रबी मक्का, 62910 हेक्टेअर क्षेत्रफल पर मसूर, 47 हेक्टेअर क्षेत्रफल पर अलसी व तकरीबन 80 हजार हेक्टेअर क्षेत्रफल पर गन्ने की फसलें खड़ी हैं। पूस की बारिश से इन फसलों को काफी लाभ मिलेगा। मौसम वैज्ञानिक डॉ.एमवी ¨सह बताते हैं कि सर्दी की यह बारिश फसलों के लिए संजीवनी साबित हो रही है। बारिश के इस पानी ने फसलों को बौछारी ¨सचाई का प्रभाव दिया है। जिन क्षेत्रों में अच्छी बारिश हुई है, वहां किसानों की एक ¨सचाई बच गई। अब वे यूरिया का छिड़काव कर सकते हैं। जिन फसलों पर पाले के दुष्प्रभाव की आशंका से किसानों ¨चतित रहते हैं, उन क्षेत्रों में हुई बारिश से फसलों पर अब पाले का असर भी कम रहेगा। किसानों को अब यह देखना है कि आलू में झुलसा रोग और सरसों में माहू न लगने पाए। 24 घंटे में पांच मिमी हुई बारिश से फसलें लहलहा उठी हैं और किसानों के चेहरे खिल उठे हैं।