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ई-रिक्शा चार्ज करने में सालाना 90 लाख से सवा करोड़ की बिजली चोरी

अंबेडकरनगर ई-रिक्शा संचालक बिजली विभाग को सालाना 90 लाख से एक करोड़ 26 लाख रुपये चूना ल

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Jul 2022 12:53 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 12:53 AM (IST)
ई-रिक्शा चार्ज करने में सालाना 90 लाख से सवा करोड़ की बिजली चोरी
ई-रिक्शा चार्ज करने में सालाना 90 लाख से सवा करोड़ की बिजली चोरी

अंबेडकरनगर: ई-रिक्शा संचालक बिजली विभाग को सालाना 90 लाख से एक करोड़ 26 लाख रुपये चूना लगा रहे हैं। सस्ती दरों पर मिलने वाली घरेलू बिजली से ई-रिक्शा की बैट्री चार्ज कर व्यावसायिक इस्तेमाल करने में प्रति यूनिट करीब दो रुपये की चोरी चल रही है।

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बिजली विभाग को इसकी भनक तक नहीं है। कुछेक स्थानों पर सयाने अपने आवासों के पीछे 50 रुपये घंटे की दर पर ई-रिक्शा की बैट्री चार्ज कर रहे हैं। इससे इतर कटिया लगा चोरी की बिजली से भी चार्ज किया जा रहा है। जिला मुख्यालय से ग्रामीणांचल तक कहीं भी ई-रिक्शा चार्जिंग के लिए स्थान नहीं है। ऐसे में खुलेआम चलते इस खेल पर किसी की नजर नहीं पड़ रही।

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चार्जिंग पर खर्च: ई-रिक्शा में 12 वोल्ट की चार बैट्री लगती हैं। कुल 48 वोल्ट की बैट्री को चार्ज किए जाने में रोजाना पांच से सात यूनिट बिजली की जरूरत होती है। बैट्री पुरानी होने पर यह खर्च और बढ़ जाता है। अभी एक यूनिट घरेलू बिजली की दर साढ़े पांच रुपये व व्यावसायिक बिजली की दर साढ़े सात रुपये है। यानी, घरेलू बिजली का व्यावसायिक उपयोग करने में प्रत्येक यूनिट पर दो रुपये की चोरी होती है। इस आधार पर रोजाना करीब 25 से 35 हजार रुपये तथा मासिक साढ़े सात लाख रुपये से लेकर 10 लाख 50 हजार रुपये और सालाना 90 लाख से एक करोड़ 26 लाख रुपये तक की बिजली चोरी चल रही है। करीब सात साल पहले से इनका संचालन हो रहा है। सपा सरकार में चार्जिंग का इंतजाम किए बगैर लोगों को ई-रिक्शा का वितरण किया गया। इसके बाद से जिले में ई-रिक्शा की बाढ़ सी आ गई है।

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शुल्क जमा करने तक सीमित परिवहन कार्यालय: परिवहन विभाग ई-रिक्शा का पंजीयन शुल्क, फिटनेस शुल्क एवं एकमुश्त तीन साल का टैक्स वसूलने के बाद किनारे हो गया है। अधिकांश ई-रिक्शा दो से तीन साल में खत्म हो जाते हैं। इसके बाद भी संचालित होने वाले ई-रिक्शा का विभाग फिटनेस करने संग टैक्स वसूलता है। सड़क पर संचालन का जिम्मा नगर निकाय और यातायात पुलिस के हवाले है। इन्हीं तीन विभागों पर ई-रिक्शा संचालन की जिम्मेदारी मानते हुए बिजली विभाग बेफिक्र बना रहा और उसकी नाक के नीचे करोड़ों की बिजली चोरी होती रही।

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जिला मुख्यालय पर बोझ: परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार पंजीकृत 2480 ई-रिक्शा में करीब 50 फीसद जिला मुख्यालय पर संचालित होते हैं। टांडा नगरपालिका में 20 फीसद व जलालपुर नगरपालिका में 10 फीसद ई-रिक्शा का संचालन होता है। बाकी के 20 फीसद ई-रिक्शा नगरपंचायत इल्तिफातगंज, किछौछा के अलावा विभिन्न तहसीलों की बाजारों में चलते हैं। सबसे कम भीटी तहसील में इनका संचालन है।

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बिजली चोरी के इस मामले को संज्ञान में लिया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों तथा कर्मचारियों से जांच कराते हुए कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। घरेलू बिजली के व्यावसायिक उपयोग तथा चोरी से चार्जिंग पर प्रभावी लगाम लगाने के साथ इसमें संलिप्त लोगों पर जुर्माना लगाया जाएगा।

अम्बा प्रसाद वशिष्ठ, अधीक्षण अभियंता


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