अगले जन्म मोहे बिटिया ही दीजौ..
संतोष श्रीवास्तव बहराइच थारू जनजाति भले ही सामाजिक उन्नति में पीछे रह गया हो पर बेटियों
संतोष श्रीवास्तव, बहराइच : थारू जनजाति भले ही सामाजिक उन्नति में पीछे रह गया हो, पर बेटियों को सम्मान देने में आगे है। यह समुदाय लिग संतुलन को बेहतर बनाने में सफल है। बहराइच और आसपास के जिलों में थारू समुदाय के बीच कम से कम यह देखने को मिल रहा है।
जिले के मिहींपुरवा ब्लॉक में थारू जनजाति के कई गांव आबाद हैं। इनमें बर्दिया, फकीरपुरी, विशुनापुर, रमपुरवा मटेही, आंबा, लोहरा, धर्मापुर, जलिहा, भैंसाही आदि हैं। थारू समुदाय के 15459 लोग इनमें निवास कर रहे हैं। वर्ष 2001 की जनगणना में 1100 पुरुषों पर 1128 महिलाएं थीं हालांकि अब 7606 पुरुष व 7553 महिलाएं हैं। प्रति हजार पुरुष पर 995 महिलाएं हैं, जो सामान्य लिगानुपात से काफी ज्यादा हैं। प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ अभियान को आत्मसात कर रहे थारू समाज के फकीरपुरी व रमपुरवा गांव महिलाओं की संख्या के मामले में आगे हैं।
इसके पीछे महिला व बेटियों का सम्मान भी इनकी परंपराओं में निहित है। थारू समुदाय, मुख्य रूप से महिला प्रधान समाज माना जाता है। परिवार में महिलाएं पूर्ण स्वतंत्रता और अधिकार रखती हैं, जबकि पुरुष उतने प्रभावशाली नहीं हैं। थारू समाज में मजबूत पंचायती संगठन दिखाई पड़ता है। आदिवासियों के उत्थान की मुहिम में लगे सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. जितेंद्र चतुर्वेदी बताते हैं कि आदिवासी समाज की बेटियां न केवल अब शिक्षा व सामाजिक दायित्व के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, बल्कि परिवार को संभालने में अपनी अहम भूमिका भी निभा रही हैं। वे बताते हैं कि कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य निर्णय लेने वालों को इनसे सबक लेना चाहिए।