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ट्रेन में सीट के नीचे रखकर ढोई जाती कच्ची शराब

कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में शराब तस्करों के लिए ट्रेनें मुफीद साबित हो रही हैं। ट्रेन की बोगियों में सीट के नीचे रखकर कच्ची शराब की बोरियों को बहराइच तक ले जाया जाता है। तस्करी पर रोकथाम करने में पुलिस व आबकारी विभाग सुस्त है। लखीमपुर के खैरटिया रेलवे स्टेशन के निकट व कतर्निया जंगल में कच्ची शराब बनाने का धंधा धड़ल्ले से होता है। बेरोकटोक यहां शराब बनाने की भट्ठियां धधकती रहती हैं। भट्ठियों में जंगल की लकड़ी उपयोग की जाती है। यहां से बनने वाली शराब को ट्रेन की बोगियों में रखक

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 10:41 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 06:07 AM (IST)
ट्रेन में सीट के नीचे रखकर ढोई जाती कच्ची शराब
ट्रेन में सीट के नीचे रखकर ढोई जाती कच्ची शराब

संसू, बिछिया(बहराइच) : कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में शराब तस्करों के लिए ट्रेनें मुफीद साबित हो रही हैं। ट्रेन की बोगियों में सीट के नीचे रखकर कच्ची शराब की बोरियों को बहराइच तक ले जाया जाता है। तस्करी पर रोकथाम करने में पुलिस व आबकारी विभाग सुस्त है।

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लखीमपुर के खैरटिया रेलवे स्टेशन के निकट व कतर्निया जंगल में कच्ची शराब बनाने का धंधा धड़ल्ले से होता है। बेरोकटोक यहां शराब बनाने की भट्ठियां धधकती रहती हैं। भट्ठियों में जंगल की लकड़ी उपयोग की जाती है। यहां से बनने वाली शराब को ट्रेन की बोगियों में रखकर बिछिया, निशानगाड़ा, मुर्तिहा, मिहीपुरवा, गायघाट, नानपारा, मटेरा, रिसिया व बहराइच रेलवे स्टेशन तक पहुंचाया जाता है। यही शराब शहर के विभिन्न स्थानों पर बेची जाती है। इन कच्ची शराब की बोरियों पर न तो रेलवे पुलिस की नजर पड़ती है और न ही क्षेत्रीय पुलिस ही कोई ध्यान दे रही है।


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