त्योहार में मिलावटी सामान से सजने लगे बाजार
खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ने के साथ ही मुनाफाखोर कारोबारी भी उपभोक्ताओं की सेहत का सौदा करने की जुगत में जुट
बहराइच : दीपावली त्योहार को लेकर बाजार सजने लगे हैं। खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ने के साथ ही मुनाफाखोर कारोबारी भी उपभोक्ताओं की सेहत का सौदा करने में जुट गए हैं। यह न केवल मुनाफे के चक्कर में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को दरकिनार कर रहे, बल्कि कैंसर जैसी बीमारी की जद में भी ढकेल रहे हैं। खाद्य विभाग की ओर से भरे गए सैंपलों की जांच रिपोर्ट तो यही दर्शा रही है। बावजूद ऐसे मुनाफाखोरों पर कड़ी कार्रवाई सिर्फ कवायदों में सिमटी हुई है। जिले में बड़े पैमाने पर मिलावटी खाद्य पदार्थों का धंधा चल रहा है। खासकर, सरसों तेल, मसाला, दाल, बेसन व अन्य दैनिक रोजमर्रा के उपभोग के सामानों में मिलावट आम होती जा रही है। दीपावली पर्व पर मिलावटखोर सक्रिय हो रहे हैं। मिलावटी सामानों को बाजारों में बिक्री के लिए ताना-बाना बुनने लगे हैं। मुनाफे के लिए किसी हद तक जा सकते हैं। पूर्व के सैंपलों की जांच में हुए खुलासे इसकी तस्दीक कर रहे हैं। अब मिलावटी खाद्य पदार्थ के जहर से उपभोक्ताओं के सेहत पर पड़ने वाले कहर से बचाना खाद्य विभाग के लिए चुनौती से कम नहीं होगा। दो बूंद केमिकल से पांच लीटर सरसों तेल तैयार यहां पॉम ऑयल को सरसों का रूप देने के लिए मुनाफाखोर एलाइड आइसो थायो साइनेट नामक केमिकल का प्रयोग करते हैं। सिर्फ दो बूंद केमिकल से पांच किलो सरसों का तेल तैयार कर लेते हैं। वैसा ही रंग, झाग व महक, लेकिन सेवन से किडनी, आंत में संक्रमण के साथ कैंसर होने की संभावना रहती है। चांदी नहीं एल्युमीनियम का वर्क
डॉ. पारितोष तिवारी बताते हैं कि मिठाई के ऊपर अक्सर वर्क चढ़ाया जाता है। दुकानदार चांदी का वर्क बताकर अधिक मूल्य वसूलते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि यह वर्क एल्युमिनियम का होता है,जो न केवल घातक बल्कि जानलेवा बीमारियों का मुख्य वाहक है।