नागपुर के 85 कछुए बढ़ाएंगे कतर्निया व सरयू नदी की शोभा
अलग-अलग प्रजाति के 16 कछुओं को बहराइच तो 69 को गोंडा में प्राकृतवास के लिए नदियों में छोड़ा जाएगा
बहराइच (मुकेश पांडेय): दुर्लभ प्रजाति के 85 कछुओं को बहराइच और गोंडा की नदियों में छोड़ा जाएगा। यह कछुए महाराष्ट्र के नागपुर से कछुआ संरक्षण परियोजना के तहत मंगाए गए हैं। क्वारंटीन अवधि समाप्त होने के बाद प्राकृतिक वास में भेजने की अनुमति प्रधान मुख्य वन संरक्षक लखनऊ ने दे दी है।
पानी को स्वच्छ बनाने में अहम भूमिका होने के कारण नदियों में कछुओं की संख्या बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार विशेष परियोजना चला रही है। रामनगरी अयोध्या के धार्मिक महत्व को देखते हुए उसके पहले ही घाघरा (सरयू) नदी को स्वच्छ बनाने के लिए बाहर मंगाकर बड़ी तादाद में कछुओं को नदी में छोड़े जाने को सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है। गंगा की सहायक नदियों में शामिल सरयू नमामि गंगे परियोजना का पहले से ही हिस्सा है।
बीते 21 अप्रैल 2021 को नागपुर से मंगाए गए जिन कछुओं को घड़ियाल पुनर्वास केंद्र कुकरैल के न्यू आइसोलेशन पौंड में क्वारंटाइन के लिए रखा गया था। उनकी क्वारंटाइन अवधि 11 मई को समाप्त हो चुकी है। प्रभागीय वनाधिकारी आकाशदीप बधावन ने बताया कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की 1972 की धारा-12 एवं 48 'ए' में निहित प्रावधानों के अंतर्गत विभिन्न प्रजाति के कछुओं को प्राकृतवास के लिए नदियों में विमोचित करने का फैसला किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि शनिवार को यहां कछुओं के लाए जाने की उम्मीद है।
हिमालय की तलहटी में पाया जाने वाला नीले रंग का एक पहाड़ी कछुआ (ट्राइकारीनेट हिल) को कतर्निया रेंज में प्राकृत वास दिया जाएगा। यह काफी खूबसूरत होता है। इसके अलावा इंडियन टेंट प्रजाति के 15 कछुओं को कैसरगंज में घाघरा नदी में प्राकृत वास उपलब्ध कराया जाएगा। इसी तरह मीठे पानी में पाया जाने वाले विलुप्त प्राय ब्लैक पौंड प्रजाति के 51 एवं इंडियन रूफ प्रजाति के 18 कछुओं को सरयू नदी में छोड़ा जाएगा।