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बदला मौसम कर रहा फसलों को प्रभावित

जागरण संवाददाता बागपत बारिश के बाद तापमान में गिरावट आ रही है जिसस वजह से गेहूं सरसो और आलू की फसल प्रभावित हो रही है। जिला कृषि अधिकारी डॉ. सूर्यप्रताप सिंह ने फसलों की जांच की। किसानों को कीट और रोगों की पहचान कराई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 12:12 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 06:10 AM (IST)
बदला मौसम कर रहा फसलों को प्रभावित
बदला मौसम कर रहा फसलों को प्रभावित

बागपत, जेएनएन। बारिश के बाद तापमान में गिरावट आ रही है, जिस वजह से गेहूं, सरसों और आलू की फसल प्रभावित हो रही है।

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जिला कृषि अधिकारी डॉ. सूर्यप्रताप सिंह ने फसलों की जांच की। किसानों को कीट और रोगों की पहचान कराई। इनसे बचाव के उपाए बताए। गेहूं की फसल की निगरानी के लिए टीम गठित होगी जो किसानों को जागरूक करेंगे। गेहूं की फसल में आद्रता बढ़ने से पीली गेरूई का प्रकोप बढ़ जाता है। पत्तियों पर पीले पाउडर की धारियों के रूप में दिखाई देते है। ऊपरी पत्तियों पर अत्यधिक प्रकोप की दशा में तनों पर भी इसके धब्बे दिखाई देते है। पीली धारियां पौधों की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में बाधक बनते है। जिससे उत्पादक प्रभावित होता है। प्रकोप दिखाई दे तो प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी की 500 मिली मात्रा को 600-700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव से लाभ पहुंचेगा।

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सरसों में पत्ती सुरंगक का प्रकोप

सुरंगक, तुलासिता, अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग से बचाव के लिए माहू एवं लीफ माइनर से बचाव हेतु जैव कीटनाशी एजाडिरेक्टिन 15 प्रतिशत ईसी 25 लीटर अथवा रासायनिक कीटनाशी डार्ममेथीएट 30 प्रतिशत ईसी, आक्सीडिमेटान मिथान 25 प्रतिशत ईसी 1.0 लीटर की मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500 लीटर में घोलकर छिड़काव, मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी, जिनेब 75 प्रतिशत की दो किलोग्राम मात्रा में प्रति हेक्टेयर की दर से 600-700 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने पर लाभ मिलेगा।

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आलू में झूलसा रोग

आलू की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप बढ़ सकता है। प्रकोप की शुरूआत पत्तियों पर छल्ले बनते है जो प्रतिकूल मौसम में आपस में मिल जाते है। जिससे पूरी पत्ती झुलस जाती है। पछेती झुलसा का प्रकोप आलू की फसल के प्रत्येक भाग पर होता है। बदली युक्त मौसम, तापमान दसे से बीस डिग्री सेंटीग्रेट, अपेक्षित आ‌र्द्रता 90 प्रतिशत से अधिक हो और हल्की बारिश हो रही तो पत्तियों की नोक, किनारे से शुरू होकर 24 घंटे के अंदर पूरी पत्ती झुलसा देती है। कापरऑक्सी क्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी 2.5 किलोग्राम, मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी 2.0 किलोग्राम, जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी 2.0 किलोग्राम का 600-800 लीटर पानी में छिड़काव करने से लाभ मिलेगा।


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