Move to Jagran APP

सियासी धुरंधरों की प्रतिष्ठा दांव पर

पंचायत चुनाव में उम्मीदवार ही नहीं बल्कि सियासी दलों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 11:50 PM (IST)Updated: Sun, 18 Apr 2021 11:50 PM (IST)
सियासी धुरंधरों की प्रतिष्ठा दांव पर
सियासी धुरंधरों की प्रतिष्ठा दांव पर

जेएनएन, बागपत: पंचायत चुनाव में उम्मीदवार ही नहीं, बल्कि सियासी दलों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। यही कारण रहा कि सियासी धुरंधरों ने जिला पंचायत वार्डों के चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों को जीत दिलाने को दिन-रात एक कर दिया। भाजपा और रालोद की अग्नि परीक्षा है, क्योंकि पंचायत चुनाव परिणाम से साफ हो जाएगा कि कौन कितने पानी में है।

loksabha election banner

भाजपा, रालोद, सपा, बसपा और कांग्रेस ने जिला पंचायत सदस्य पदों के चुनाव में उम्मीदवार मैदान में उतार रखे हैं। किसान आंदोलन के बीच हो रहे पंचायत चुनाव सियासी दलों के लिए खास मायने रखता है। बागपत में सांसद व तीनों विधायक भाजपा के हैं, इसलिए उसके सामने जिला पंचायत चुनाव में जीत दर्ज कर फिर खुद को साबित करने की चुनौती है।

भाजपा के विधायकों तथा संगठन के पदाधिकारियों ने चुनाव प्रचार खत्म होने तक पार्टी के उम्मीदवारों के लिए गांव-गांव वोट मांगने में कसर नहीं छोड़ी। रालोद के सामने अपनी खोई सियासी जमीन पाने की चुनौती है। इसलिए रालोद नेताओं ने भी पार्टी उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए ताकत लगा रखी है।

वहीं खुद को साबित करने के लिए सपा और बसपा के नेता भी अपने उम्मीदवारों का जीत दिलाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाते नजर आए। इसके बावजूद भाजपा, रालोद व सपा के सामाने बड़ी चुनौती अपने ही हैं जो पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बावजूद पंचायत चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं।

हालांकि भाजपा उन चार नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर चुकी जो पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.