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स्थानीय भाषा झलकती हो, ऐसी कविताएं लिखेंगे शिक्षक

परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाने वाले अध्यापक स्थानीय भाषा में स्वरचित कविता लेखन प्रतियोगिता में प्रतिभाग करेंगे। कविता ऐसी लिखेंगे जिससे विद्यार्थियों का ज्ञानार्जन हो और आसानी से समझ में आ सकें। सबसे अच्छी कविता लिखने वाले अध्यापक को शासन स्तर से पुरस्कृत किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 05:49 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 05:49 PM (IST)
स्थानीय भाषा झलकती हो, ऐसी कविताएं लिखेंगे शिक्षक
स्थानीय भाषा झलकती हो, ऐसी कविताएं लिखेंगे शिक्षक

जागरण संवाददाता, बागपत। परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाने वाले अध्यापक स्थानीय भाषा में स्वरचित कविता लेखन प्रतियोगिता में प्रतिभाग करेंगे। कविता ऐसी लिखेंगे, जिससे विद्यार्थियों का ज्ञानार्जन हो और आसानी से समझ में आ सकें। सबसे अच्छी कविता लिखने वाले अध्यापक को शासन स्तर से पुरस्कृत किया जाएगा। कोई भी अध्यापक, शिक्षामित्र और अनुदेशक प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर सकता है। फरवरी में प्रतियोगता का अंतिम दिन है। इसके बाद मौका नहीं मिलेगा।

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में स्थानीय भाषा में पढ़ाई पर जोर दिया गया है। बच्चों को भाषाओं का महत्व बताया जाएगा। कक्षा शिक्षण संचालित करने से बच्चों में स्वयं की मातृभाषा में शिक्षक से सीखेंगे। क्षेत्रीय भाषाओं में कविता लेखन के आयोजन से भाषाओं के प्रति रूचि एवं लगाव का भाव जागृत होगा। इसी उद्देश्य से राज्य हिदी संस्थान अध्यापकों के लिए एक स्थानीय भाषाओं में स्वरचित कविता लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। शिक्षक, शिक्षामित्र और अनुदेशक प्रतिभाग करेंगे। कविताएं उत्तर प्रदेश में प्रचलित स्थानीय भाषा, बोलियां अवधी, भोजपुरी, ब्रज, बुंदेली आदि में लिखी जाएगी। कविताएं स्वचरित व मौलिक होंगे। बेसिक शिक्षा अधिकारी राघवेंद्र सिंह ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को अध्यापक, शिक्षामित्र और अनुदेशों से प्रतियोगिता में प्रतिभा कराएंगे। स्वरचित कविताएं पांच फरवरी तक राज्य हिदी संस्थान उत्तर प्रदेश वाराणसी की ई-मेल आइडी पर भेजी जाएगी। सबसे अच्छी कविताएं होगी अध्यापकों को संस्थान की ओर से पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा।

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यह है कविताओं का विषय

--कविताएं पर्यावरण संरक्षण, बाल कविताएं, सामाजिक सरोकार, बच्चों के शैक्षिक संव‌र्द्धन एवं विज्ञान से जुड़ी हुई होनी चाहिए, जिनसे विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन हो।


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