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दहेज की बंदूक उगल रहीं सम्मान की गोलियां

दहेज में बंदूक सुनने में कुछ अजीब लगता है लेकिन यह सच है। बागपत की तीन शूटर बेटियों ने दहेज में बंदूक ही ली।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 12:33 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 06:13 AM (IST)
दहेज की बंदूक उगल रहीं सम्मान की गोलियां
दहेज की बंदूक उगल रहीं सम्मान की गोलियां

बागपत, जेएनएन। दहेज में बंदूक! सुनने में बेशक यह अजीब लगे लेकिन निशानेबाजों की धरती बागपत की यही हकीकत है। दरअसल, यह शूटिंग को लेकर बेटियों के जुनून की इंतेहा है। चूंकि, शूटिंग महंगा खेल है, लिहाजा कई बेटियों ने ब्याह से पहले ही मां-बाप के सामने शर्त रख दी कि भले ही शादी में कुछ न देना लेकिन दहेज के रूप में बंदूक दे दो। ससुराल में भी बंदूक के साथ पहुंचीं। उनकी कामयाबी पर ससुराल का मान बढ़ा तो ससुराल वालों ने भी उन्हें सिर आंखों पर बैठा लिया।

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किशनपुर बराल गांव की सर्वेश तोमर ने कई देशों में आयोजित शूटिग चैंपियनशिप में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जबकि 56 से ज्यादा राष्ट्रीय पदक जीते। चार व‌र्ल्ड कप और दो एशियन चैंपियनशिप में भाग लिया। बताती हैं कि माता बालेश देवी और पिता ईश्वर सिंह से दहेज के रूप में शादी से पहले ही शूटिंग पिस्टल मांग ली थी। 2007 में मुजफ्फरनगर में विकास चौधरी से शादी हुई। सर्वेश ने शादी के बाद नेशनल शूटिग चैंपियनिशप पूना 2012-13 में स्वर्ण, नेशनल शूटिग चैंपियनशिप केरल-16 में रजक, नेशनल शूटिग चैंपियनशिप में रजत पदक समेत आठ स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीते। इस उपलब्धि पर उन्हें ससुराल में काफी सम्मान मिला। फिलहाल वह सीआरपीएफ गुड़गांव में अस्सिटेंट कमांडेट हैं।

अंगदपुर गांव की नीतू श्यारोन ने ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में रजत पदक जीता। ऑल इंडिया प्री नेशनल में आठ बार प्रतिभाग किया। शादी से पहले ही माता लीला देवी और पिता नरबीर श्योरान से पिस्टल ले ली थी। 2009 में मेरठ में शादी हो गई। पति उमेश चौधरी व ससुराल वालों की प्रेरणा से भारतीय खेल प्राधिकरण की कोच बन गईं। ससुराल वाले उन पर गर्व महसूस करते हैं।

तीसरी बेटी जौहड़ी गांव की सीमा तोमर ने सैफ गेम्स काठमांडू (नेपाल) में स्वर्ण पदक जीता। कई अन्य देशों में स्वर्ण और रजत पदक जीते। रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड भी मिल चुका है। शादी से पहले ही माता ओमकारी देवी और पिता प्रकाश चंद तोमर ने बेटी को पिस्टल खरीदकर दी थी। धीरेंद्र मलिक से शादी के बाद भी नेशनल और राज्य स्तरीय शूटिग चैंपियनशिप में कांस्य और रजत पदक जीते। ससुराल वाले उन पर नाज करते हैं। इस संबंध में जौहड़ी रायफल क्लब के संस्थापक डॉ. राजपाल सिंह कहते हैं कि यहां बेटियों में निशानेबाजी का जुनून है। उन्होंने खुद कई लोगों को अपनी बेटियों को शादी से पहले पिस्टल खरीदकर देने की सलाह दी थी, क्योंकि बेटी के कामयाब होने पर करियर के तमाम रास्ते खुल जाते हैं।


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