किसान आंदोलन की भेट चढ़ा यूपी-हरियाणा सीमा विवाद का निस्तारण
कृषि कानून के विरोध में जारी किसान आंदोलन के चलते यूपी-हरियाणा सीमा विवाद का निस्तारण लटक गया है।
जेएनएन, बागपत : कृषि कानून के विरोध में जारी किसान आंदोलन के चलते यूपी-हरियाणा सीमा विवाद का निस्तारण खटाई में पड़ गया है। हरियाणा प्रशासन के अधिकारियों ने किसान आंदोलन व निकाय चुनाव का हवाला देते हुए विवाद निस्तारण के लिए होने वाली बैठक में शामिल होने से असमर्थता जताई है। बागपत की करीब 50 किमी सीमा हरियाणा के सोनीपत तथा पानीपत से लगी है। यमुना की धार बदलने से बागपत के 25 व हरियाणा के 22 गांवों के हजारों किसानों की करीब 4500 हेक्टेयर जमीन विवाद में फंसी हैं। इसमें 2850 हेक्टेयर जमीन बागपत और 1750 हेक्टेयर जमीन हरियाणा के किसानों की हैं। पिछले पांच दशक से फसल की बुआई-कटाई के समय दोनों तरफ के किसानों में झगड़ा होता है। इस बार भी ग्राम खुब्बीपुर निवाड़ा और जाजल के किसानों में संघर्ष हुआ। नंगला बहलोलपुर और खुर्रमपुर तथा टांडा व खोजकीपुर के किसानों के बीच भी झगड़ा हुआ। दर्जनों किसानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए। टांडा के छह किसानों को तो पानीपत पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था।
वर्ष 1997 में दोनों राज्य के किसानों में फायरिग हुई, जिसमें ग्राम कुरड़ी के एक किसान की मौत हो गई थी। 1998 में हरियाणा के किसानों ने नंगला बहलोलपुर गांव में फायरिग कर 80 मकानों में आग लगा दी थी। वर्ष 1996-97 में दो अफसरों को सोनीपत के राई थानाक्षेत्र में बंधक बना लिया गया था।
इस विवाद को सुलझाने के लिए बागपत प्रशासन ने पहल करते हुए हरियाणा के अधिकारियों से बैठक करने का अनुरोध किया था लेकिन हरियाणा के अफसरों ने बैठक में शामिल होने से इन्कार कर दिया।
----------------- उन्होंने विवाद निस्तारण के लिए सोनीपत और पानीपत के अधिकारियों को पत्र भेजा था। हरियाणा के अधिकारियों ने पत्र भेजकर अवगत कराया है कि किसान आंदोलन और निकाय चुनाव के कारण वह बैठक में शामिल नहीं हो सकते।
-अमित कुमार सिंह, एडीएम