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350 करोड़ रुपये गन्ना भुगतान नहीं मिलने से किसान हलकान

चीनी मिलों से चालू सत्र के गन्ना भुगतान की तो बात ही छोड़िए अभी पिछले साल का भुगतान भी लटका हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2020 12:26 AM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 12:26 AM (IST)
350 करोड़ रुपये गन्ना भुगतान  
नहीं मिलने से किसान हलकान
350 करोड़ रुपये गन्ना भुगतान नहीं मिलने से किसान हलकान

जेएनएन, बागपत: चीनी मिलों से चालू सत्र के गन्ना भुगतान की तो बात ही छोड़िए, अभी पिछले साल का भुगतान तक नहीं मिला है। बागपत के किसानों को चीनी मिलों पर 350 करोड़ रुपये गन्ना भुगतान बकाया है। भुगतान नहीं मिलने से किसानों को गेहूं की बुआई करने तक में दिक्कत आ रही है।

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सहकारी चीनी मिल बागपत पर 20 करोड़, सहकारी चीनी मिल रमाला पर 45 करोड़ रुपये व मलकपुर चीनी मिल पर 180 करोड़ रुपये बकाया है। वहीं 100 करोड़ रुपये दूसरे जिलों की चीनी मिलों पर बकाया है। हालांकि बागपत और रमाला मिलें 80 फीसद और मलकपुर 62 फीसदी से ज्यादा गन्ना भुगतान कर चुकी हैं।

जिला गन्ना अधिकारी डा. अनिल कुमर भारती ने कहा कि यह भुगतान कराने को चीनी मिल प्रबंधनों पर दबाव बनाया जा रहा है।

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नहीं मिल रही गन्ना पर्चिया

-जिला गन्ना अधिकारी डा. अनिल कुमार भारती ने बताया कि करीब 600 किसानों ने अपने बैंक नंबर सहकारी समितियों में जाकर फीड नहीं कराए हैं। जो अपने बैंक और अधार नंबर फीड नहीं कराएंगे, उन्हें गन्ना आपूर्ति पर्चियां नहीं मिलेंगी। लिहाजा वे अपनी सहकारी समितियों ने बैंक खाता नंबर और आधार नंबर फीड करा दें। वहीं ढाई हजार किसानों के मोबाइल नंबर भी

गलत फीड हैं जिससे उन्हें गन्ना पर्चिया मिलने में बाधा आ रही है। ऐसे किसान अपने मोबाइल नंबर सही फीड कराएं, ताकि समय पर गन्ना पर्चियां मिलती रहे।

गन्ना उपायुक्त का बागपत चीनी मिल पर छापा

बागपत: गन्ना उपायुक्त राजेश मिश्र ने सोमवार को सहकारी चीनी मिल बागपत के गेट तौल क्रय केंद्र पर छापा मारा। उन्होंने कई किसानों की ट्रैक्टर-ट्रालियों को तुलवाकर काटे चेक किए। जिला गन्ना अधिकारी डा. अनिल भारती ने बताया कि गन्ना तौल में कोई अनियमितता नहीं मिली।

वहीं गन्ना उपायुक्त ने सहकारी गन्ना विकास समिति बागपत, चमरावल, खेकड़ा, अमीनगर सराय में उर्वरक गोदाम चेक किए। गोदामों में कीटनाशक और उर्वरकों की उपलब्धता का रिकार्ड देखने के बाद गोदाम प्रभारियों को निर्देश दिया कि किसानों को दिक्कत नहीं होने दें।


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