कृषि विधेयकों के विरोध में धरना-प्रदर्शन
कृषि सुधार विधेयकों के विरोध में राष्ट्रीय लोकदल ने तहसील में धरना-प्रदर्शन किया।
बागपत, जेएनएन। कृषि सुधार विधेयकों के विरोध में राष्ट्रीय लोकदल ने तहसील में धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान कृषि विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए इन्हें वापस लेने की मांग की गई। राष्ट्रपति को संबोधित पांच सूत्री ज्ञापन एसडीएम को सौंपा।
अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रालोद कार्यकर्ता शनिवार की सुबह 11 बजे से तहसील में परिसर में जुटने शुरू हो गए। धरने में जिलाध्यक्ष सुखबीर सिंह गठीना ने कहा कि सरकार मंडियों को खत्म करना चाहती है। अगर मंडी में किसानों की फसल की खरीद-फरोख्त नहीं हुई तो सरकार एमएसपी रेट लागू नहीं कर पाएगी। जिससे किसानों को सरकार द्वारा न्यूनतम निर्धारित मूल्य भी नहीं मिल पाएगा। वहीं, कांट्रैक्ट फार्मिंग के रास्ते खुलने के बाद बड़े औद्यौगिक घराने खेती कर सकेंगे और छोटे किसान उनके यहां अपनी ही जमीन पर नौकर बन जाएंगे। इस विधेयक में किसानों की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। इसकी गाइडलाइन में न्यूनतम समर्थन मूल्य तक का जिक्र नहीं है। ये तीनों विधेयक किसान विरोधी हैं।
उन्होंने राष्ट्रपति से लोक सभा व राज्य सभा में पास किए गए बिलों को स्वीकृत न देने और जनहित में इन्हें सरकार को लौटाने की मांग की। धरने पर पहुंचे कलक्ट्रेट प्रभारी रामनारायण सिंह को रालोद नेताओं ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन देकर धरना समाप्त किया। ये लोग रहे मौजूद
पूर्व विधायक अजय कुमार, वीरपाल राठी, जिलाध्यक्ष सुखबीर सिंह गठीना, युवा मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष वसीम राजा, प्रदेश अध्यक्ष लितेश चौधरी, जयवीर सिंह एडवोकेट, अरुण तोमर उर्फ बोबी, विश्वास चौधरी, संजीव मान, युवा जिलाध्यक्ष प्रमेंद्र तोमर, सतेंद्र प्रमुख, चेयरमैन सोमपाल राठी, मोहित मुखिया, रविद्र मुखिया, रामकुमार चेयरमैन, धीरज उज्ज्वल, सुरेश मलिक, राजू तोमर सिरसली, सुभाष नैन, लेखराज प्रधान, तेजपाल धनौरा, आनंद छिल्लर, ओमवीर ढाका, संजय उर्फ संजू, यशवंत तोमर, पूर्व विधायक गजेंद्र सिंह, मास्टर सुरेश राणा, मनोज तोमर, अजित सोलंकी, विकास प्रधान, अमरपाल लुहारी, बिल्लू लौहड्डा आदि मौजूद रहे।