बाढ़ में डेंगू जैसे लक्षण वाली बीमारी फैला सकते हैं चूहे
नटखट चूहों को हल्के में मत लीजिए जनाब..। चूहों से बारिश व बाढ़ में डेंगू जैसे लक्षणों वाले लेप्टोस्पाइरोसिस बीमारी फैल सकती है। इसके मद्देनजर प्रशासन ने इनचूहों को मारने की तैयारी कर ली है।
बागपत, जेएनएन: नटखट चूहों को हल्के में मत लीजिए जनाब..। चूहों से बारिश व बाढ़ में डेंगू जैसे लक्षण वाली लेप्टोस्पाइरोसिस बीमारी फैलने से रोकने को
प्रशासन चौकन्ना हो गया है। चूहों से निपटने को कृषि विभाग कर्मचारियों की फौज मैदान में उतारेगा। सभी 244 गांवों में कर्मचारी ग्रामीणों को बीमारियों की जानकारी देकर चूहों से निपटने के गुर बताएंगे।
जिला कृषि अधिकारी डा. सूर्य प्रताप सिंह ने बताया कि बारिश और बाढ़ में चूहों की संख्या बढ़ जाती है। चूहों के खिलाफ एक से 31 जुलाई तक गांवों में अभियान चलाने को कर्मियों को गांव आवंटित किए गए, जो ग्रामीणों को चूहों को लालच में फंसाकर मारने के गुर बताएंगे। पहले दिन चूहों के बिल चिह्नित करेंगे। दूसरे तथा तीसरे दिन बिलों बिना जहर मिले सरसों तेल मिले भुने दाने रखेंगे। चौथे दिन जिक फास्फाइड 80 प्रतिशत की एक ग्राम तथा सरसों तेल और 48 ग्राम भुने अन्न के दाने से बनाए चारे को बिलों में रखेंगे, जिसे खाकर चूहे मरेंगे। पांचवें दिन मृत चूहे को मिट्टी में गाड़ेंगे।
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लेप्टोस्पाइरोसिस के डेंगू जैसे लक्षण
-चूहे लेप्टास्पाइरा वायरस लेकर घूमते हैं जिससे इंसान लेप्टोस्पाइरोसिस बीमारी की चपेट में आता है। इसकी चपेट में आने पर मरीज को तेज बुखार, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द, उल्टी, पीलिया, आंख लाल होना, पेट दर्द और दस्त होते हैं। इस रोग के लक्षण डेंगू से मिलते -जुलते हैं। संक्रमित चूहे मूत्र से लेप्टास्पाइरा वायरस फैलाते हैं जो जलभराव या बाढ़ के पानी में मिलकर आंख, नाक व मुंह के जरिए इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। लिहाजा वर्षा काल में जलभराव और बाढ़ के पानी से दूर रहना चाहिए।
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इनके वाहक भी चूहे
-चूहे वाट्रोनेल्ला, टेपवर्म जीवाणु व विषाणु लेकर घूमते हैं। वेल डिजीज, वारटोनोलोसिम, रेट टेपवर्म और प्लैग रोग फैलने का खतरा रहता है।
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चूहों से फसलों में करोड़ों
का होता है नुकसान
-जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि चूहो से खेत में खड़ी फसलों तथा भंडारण अन्न में 15 से 20 प्रतिशत हानि से किसानों को करोड़ों की चपत लगती है।