मनरेगा की खराब प्रगति में जिले का चौथा स्थान
कोरोना काल में चौतरफा काम धंधे बंद होने से लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ सकता है।
बागपत, जेएनएन। कोरोना काल में चौतरफा काम धंधे बंद होने से लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे में गरीबों को मनरेगा के सहारे की जरूरत थी, लेकिन अफसोस कि मनरेगा धड़ाम हो गई। मनरेगा की खराब प्रगति वाले जिलों में बागपत को चौथा स्थान मिलना कम शर्मनाक नहीं।
सीडीओ अभिराम त्रिवेदी ने सभी छह बीडीओ को मनरेगा की खराब प्रगति का आइना दिखाकर चेताया है। 29 मई को 244 ग्राम पंचायतों में केवल 23 ग्राम पंचायतों में मनरेगा में काम चला। 28 मई को महज 119 श्रमिकों से कार्य कराया। समीक्षा
में ग्राम्य विकास आयुक्त ने उक्त खराब प्रगति पर अंसतोष जताया। वित्त वर्ष 2021-2022 में लक्ष्य के सापेक्ष आठ फीसदी
मानव दिवस सृजित होने से बागपत सबसे निम्न स्थान पर पहुंच गया है।
वर्तमान वित्त वर्ष में 233 ग्राम पंचायतों में शून्य मानव दिवस सृजन के साथ तंत्र ने नाकामी का नया कीर्तिमान कायम किया है। वित्त वर्ष 2019-2020 में 686 कार्य अधूरे हैं। इनमें 123 कार्य 75 से 100 फीसदी भुगतान के बावजूद अधूरे हैं। कमाल है कि 100 फीसदी भुगतान के बावजूद 13 काम अधूरे हैं।
सीडीओ ने मनरेगा की उक्त स्थिति को अत्याधिक लज्जाजनक एवं खेदजनक करार देकर बीडीओ को कठोर चेतावनी और सुधार की हिदायत दी है। साफ है कि कोरोना महामारी में जब गांवों में मजदूरों को काम धंधा मिल नही रहा तब मनरेगा ने भी उन्हें निराश किया है। दो एएनएम ने की लापरवाही संविदा समाप्ति की संस्तुति
असारा की दो एएनएम की सेवा समाप्त करने की संस्तुति की गई। डिप्टी सीएमओ डा. यशवीर सिंह ने बताया कि असारा गांव की 26 हजार की आबादी है लेकिन टीकाकरण की स्थिति खराब है।
शनिवार को छपरौली सीएचसी अधीक्षक डा. राजकमल के साथ निरीक्षण किया था। सुबह के समय 20 लोगों को टीके लगे थे, वहीं 12 बजे तक मात्र 50 लोगों को ही टीकाकरण किया गया था। लापरवाही पर दोनो एएनएम की सेवा समाप्ति की संस्तुति की है।