फिर अतीत के रहस्य उगलने को तैयार सिनौली साइट, खोदाई शुरू
जासं, बड़ौत (बागपत): विश्व की प्राचीनतम ¨सधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण पुरास्थलों में शुमार सिनौ
जासं, बड़ौत (बागपत): विश्व की प्राचीनतम ¨सधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण पुरास्थलों में शुमार सिनौली की धरती एक बार फिर अतीत के रहस्य उगलने को तैयार है। विशाल शवाधान और दुर्लभतम रथ निकलने के बाद भारतीय पुरातत्व संस्थान ने यहां तीसरे चरण की खोदाई शुरू कर दी है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण उत्खनन शाखा द्वितीय एवं भारतीय पुरातत्व संस्थान लाल किला दिल्ली की संयुक्त टीम ने मंगलवार को डॉ. संजय मंजुल, डॉ. अरविन मंजुल के निर्देशन में विधिवत रूप से सिनौली में तीसरे चरण के उत्खनन का शुभारंभ किया। बुधवार को पुराविदों ने साइट पर चार नए ट्रायल ट्रेंच लगाए। पुरातत्व विज्ञान के 15 शोधार्थियों की टीम भी उत्खनन कार्य में सहयोग कर रही है। पुराविद विनय कुमार, असिस्टेंट आर्कियोलॉजिस्ट प्रवीण कुमार के निर्देशन में शोधार्थियों ने चिन्हित किए गए ट्रायल ट्रेंच पर उत्खनन शुरू कर दिया। गौरतलब है कि सिनौली साइट से जून 2018 में पुराविदों को रथ, ताबूत एवं अन्य दुर्लभ पुरावशेष प्राप्त हुए थे। भारत में सिनौली एकमात्र ऐसा पुरास्थल है, जो ¨सधु घाटी सभ्यता के लोगों द्वारा किए जाने वाले अंतिम क्रियाकलापों पर विस्तृत एवं प्रमाणिक प्रकाश डालता है। आज तक ऐसे साक्ष्य ¨सधु घाटी सभ्यता के अन्य किसी पुरास्थल से नहीं मिले हैं। इसलिए इसे अधिक महत्वपूर्ण पुरास्थल माना जा रहा है।
आठ ट्रायल ट्रेंच पर तेजी से शुरू होगा कार्य
इस बार पुराविदों ने साइट पर आठ ट्रायल ट्रेंचों पर एक साथ काम शुरू किया है। माना जा रहा है कि इस बार उत्खनन कार्य को तेजी से पूर्ण किया जाएगा और यहां से निकलने वाले पुरावशेषों को सुरक्षित रूप से संग्रहित करने के बाद शोधकार्य किए जाएंगे। इसे लेकर शोधार्थियों में भी खासा उत्साह है।