कक्षा दो की किताब भी नहीं पढ़ पाते आठवीं के बच्चे
जागरण संवाददाता, बागपत: सरकार बुनियादी शिक्षा पर पैसा बहाने में बेशक कोई कसर नहीं छोड़
जागरण संवाददाता, बागपत: सरकार बुनियादी शिक्षा पर पैसा बहाने में बेशक कोई कसर नहीं छोड़ रही है, लेकिन जमीनी हकीकत बड़ी स्याह है। बागपत में सरकारी प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में पांचवी से आठवीं तक के बच्चे कक्षा दो की किताब नहीं पढ़ पा रहे। गुना-भाग और जोड़ना-घटना जैसे मामूली सवाल हल करना तो दूर कक्षा एक स्तर की सौ तक के अंकों को भी नहीं पहचान पाए। यह हकीकत सामने आई है, असर संस्था की अध्ययन रिपोर्ट से। रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार परिषदीय स्कूलों में जा रहे 66 हजार बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। यह रिपोर्ट शिक्षा क्षेत्र के सबसे बड़े गैर सरकारी संगठन एनुअल स्टेट्स आफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) ने गत दिवस सर्वे के बाद जारी की।
ये है बागपत की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, बागपत के स्कूलों में कक्षा तीन से पांच तक के 47 फीसद बच्चे कक्षा दो की किताब पढ़ने में नाकाम रहे। कक्षा छह से आठवीं तक के 23 फीसद बच्चे भी कक्षा दो की किताब सरल पाठ तक नहीं पढ़ सके। वहीं कक्षा तीन सेस पांच तक के 40.5 फीसद बच्चे 0 नौ से आगे की संख्या पहचानकर पढ़ने में नाकाम रहे। गुना-भाग और जोड़-घटाना करना इनके बूते से बाहर की बात है। पांचवीं तक ही नहीं, बल्कि आठवीं के बच्चे भी गणित में फिसड्डी निकले। महज 54 फीसद बच्चे ही गणित के हल्के फुल्के सवाल हल कर सके। बाकी 46 फीसद बच्चे तो 63 में 44 नहीं घटा पाए और 659 को चार की संख्या से भाग देने में नाकाम रहे। इससे ज्यादा दयनीय स्थित ओर क्या होगी कि आठवीं के बच्चे पकौड़ा शब्द तक नहीं पढ़ पाए। साफ है कि बागपत के 650 परिषदीय स्कूलों में अधिकांश में बच्चों का शैक्षिक स्तर बहुत खराब है।
ऐसा है प्रदेश का औसत
प्रदेश स्तर पर कक्षा तीन से पांचवीं तक के 40 फीसदी बच्चे तथा कक्षा छह से आठवीं तक के 33 फीसद बच्चे कक्षा दो की ¨हदी की किताब नहीं पढ़ सके। कक्षा तीन से पांच के 52 फीसद बच्चे और कक्षा छह से आठवीं तक के 41 फीसदी बच्चे गणित में फेल मिले।
पकौड़ा नहीं पढ़ सके बच्चे
कक्षा दो स्तर का यह पाठ कि नगमा समझदार लड़की थी। मगर उसका छोटा भाई अमन बहुत नटखट था। एक दिन दोनों बाजार में घूम रहे थे। अमन ने रास्ते में पकौड़े देखे। उसे पकौड़े बहुत पसंद थे जैसे वाक्य को पढ़ने में बच्चे नाकाम रहे।
और यह भी नहीं बताए बच्चे
रात 9.30 बजे से प्रात: 6.30 बजे तक कितने घंटे हुए?
40 रुपये में 10 फीसदी घटाने के बाद कितने बाकी बचे?
10 से 99 तक संख्या पहचानकर पढ़ने में नाकाम रहे हैं।
यह भी जानिए..
59.1 फीसदी बच्चे पब्लिक स्कूलों में पढ़ते हैं।
05.5 फीसदी बच्चे कभी स्कूल पढ़ने नहीं गए।
03.3 फीसदी स्कूलों में पेयजल सुविधा नहीं है।
03.0 फीसदी स्कूलों में शौचालय सुविधा नहीं।
24.4 फीसदी स्कूल शौचालयों का प्रयोग नहीं।
08.4 फीसदी स्कूल में बालिका शौचालय नहीं।
36.9 फीसदी स्कूलों में पुस्तकालय ही नहीं हैं।
33.5 फीसदी सकूलों में बिजली कनेक्शन नहीं।
96.7 फीसदी स्कूल में बच्चों को कंप्यूटर नहीं।
इन्होंने कहा..
हमने असर की रिपोर्ट देखी है जिसमें बागपत की स्थिति अन्य बहुत से जिलों से बेहतर है। शैक्षिक स्तर में और सुधार कराने को प्रयास करेंगे। परीक्षा सिस्टम लागू होने के बाद अब और सुधार देखने को मिलेगा।
-राजीव रंजन कुमार मिश्र, बीएसए।