भूखे-प्यासे बेसहारा पशु, जिम्मेदार कौन?
जागरण संवाददाता, बड़ौत (बागपत): बेसहारा पशुओं के खेतों में फसल खाने की समस्या अचानक खड़ी
जागरण संवाददाता, बड़ौत (बागपत): बेसहारा पशुओं के खेतों में फसल खाने की समस्या अचानक खड़ी नहीं हुई है, बल्कि यह समस्या कई माह से चली रही है और किसान लगातार विरोध कर अफसरों को अवगत करा रहे हैं। लेकिन अफसरों द्वारा पशुओं की रहने, खाने-पीने की समस्या का समाधान फाइलों में ही खोजा जाता रहा। अब किसानों ने पशुओं को स्कूल और दूसरे सरकारी भवनों में बंद करना शुरू कर दिया है अब सवाल यह है कि इस विकराल हुई समस्या और भूखे-प्यासे बेसहारा पशुओं का जिम्मेदार कौन है? गांव-गांव में चारागाह की भूमि पर लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। एक मोटे अनुमान के अनुसार जनपद में चारागाह की लगभग 106 हेक्टूयर भूमि है, जिसमें से अधिकांश भूमि पर लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। यदि इस भूमि से कब्जा हट जाए तो गोशाला आदि का निर्माण होने के बाद पशुओं के रहने की जगह हो जाएगी, लेकिन अवैध कब्जा नहीं हटवाया जा रहा है।
बामनौली और हेवा में प्राइमरी स्कूल में बंद किए जाएंगे पशु
दाहा : बामनौली गांव में चौपाल पर पंचायत हुई, जिसकी अध्यक्षता करते हुए ब्रजपाल ¨सह ने कहा कि बेसहारा पशु फसल बर्बादी का कारण है। प्रशासन कतई गंभीर नहीं दिखाई दे रहा। किसानों ने निर्णय लिया कि गुरुवार की सुबह बेसहारा पशुओं प्राथमिक विद्यालयों में बंद कर देंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। संजीव कुमार के संचालन में हुई पंचायत में नरेश डायरेक्टर, रामबीर, प्रधान विरेश तोमर, पूर्व प्रधान सुरेंद्र ¨सह, सहेंद्र, बाबूराम, कृष्णपाल, वीरेंद्र, हरेंद्र, रामफल शर्मा, गजेंद्र ¨सह, योगेंद, रोशनलाल, सुधीर, दिनेश, विकास आदि मौजूद रहे। उधर, छपरौली कस्बे के तिरखानाथ शिव मंदिर में हुई किसानों की बैठक में निर्णय लिया गया कि राजकीय पशु चिकित्सालय में बंद पशुओं को आजाद कर दिया जाए क्योंकि प्रशासन की ओर कोई मदद नहीं मिली। इससे बेहतर है कि पशुओं को छोड़ दिया जाए। चेतावनी दी है कि सुबह तक ग्राम पंचायत ने बेसहारा पशुओं को आश्रय देने के लिए जमीन व खाने के लिए चारे का प्रबंध नहीं किया तो गुरुवार की सुबह पशुओं को गांव के प्राइमरी स्कूल में बंद कर दिया जाएगा। प्रधान र¨वद्र ¨सह ने बताया कि ग्राम पंचायत में फिलहाल इस मद के लिए कोई बजट नहीं है।