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51 कैंसर मरीज मिलने से अफसरान में खलबली

हिडन और कृष्णा नदी किनारे के गांवों में दर्जनों कैंसर मरीज मिलने से तंत्र में खलबली मची है। चिताजनक पहलू यह है कि कैंसर मरीजों को कोई राहत देने के बजाय अफसरान एनजीटी में गर्दन बचाने को कई दिनों से मंथन में जुटे हैं। रोज दिनभर रिपोर्ट बनती है और शाम होने तक रिजेक्ट हो जाती है। अफसरान को लगता है कि जो रिपोर्ट तैयार की है कहीं वह एनजीटी में नहीं टिक पाई तो फंस जाएंगे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 11:02 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 06:26 AM (IST)
51 कैंसर मरीज मिलने से अफसरान में खलबली
51 कैंसर मरीज मिलने से अफसरान में खलबली

बागपत : हिडन और कृष्णा नदी किनारे के गांवों में दर्जनों कैंसर मरीज मिलने से तंत्र में खलबली मची है। चिताजनक पहलू यह है कि कैंसर मरीजों को कोई राहत देने के बजाय अफसरान एनजीटी में गर्दन बचाने को मंथन में जुटे हैं। अफसरान को लगता है कि जो रिपोर्ट तैयार की है, कहीं वह एनजीटी में नहीं टिक पाई तो फंस जाएंगे।

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दरअसल सरकारी तंत्र ने एनजीटी के आठ अगस्त के आदेश का पालन करने को न तो हिडन को प्रदूषित करने वाली फैक्ट्रियों को बंद कराई और न बीमार व्यक्तियों का इलाज को स्वास्थ्य लाभ योजना बनाकर अमल किया। प्रभावित इलाकों में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति का काम भी नहीं किया। हिडन की सफाई को प्लान तक नहीं बनाया। इस पर एनजीटी ने 16 मार्च 2019 को अपने उक्त आदेश का अनुपालन नहीं होने पर फटकार लगाकर सूबे की सरकार को परफॉरमेंस गारंटी के रूप में पांच करोड़ रुपये केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा कराने का आदेश दिया तो अफसरों में खलबली मच गई। अब प्रशासन को 26 अप्रैल को एनजीटी में पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट दाखिल करनी है।

स्वास्थ्य विभाग के अफसरान ने अपनी गर्दन बचाने को हिडन और कृष्णा नदी किनारे के सभी 50 गांवों का सर्वे कराया तो कैंसर मरीजों की भरमार मिली।

सरकारी आंकड़ों में 40 गांवों में 51 कैंसर मरीज मिले हैं। ये मरीज दिल्ली और दूसरे शहरों में कैंसर बीमारी का इलाज करा रहे हैं। सर्वे में इतने कैंसर मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अफसर परेशान हैं। चूंकि गत तीन साल से स्वास्थ्य विभाग यह मानने को तैयार हीं नहीं था कि उक्त गांवों में कैंसर लोगों की जान ले रहा है।

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रोज बनती हैं रिपोर्ट, बाद में रिजेक्ट

आलम यह है कि अफसरान एक सप्ताह से रोज रिपोर्ट तैयार कराते हैं, लेकिन जैसे ही आला अफसर देखते हैं वैसे ही वह रिजेक्ट हो जाती है। उन्हें डर है कि जो रिपोर्ट तैयार की है, वह एनजीटी में टिक नहीं सकेगी। स्वास्थ्य विभाग का जोर इस बात पर ज्यादा है कि किसी तरह यह साबित कर दें कि जो उक्त मरीज मिले हैं उन्हें प्रदूषित पानी के कारण नहीं, दूसरे कारण से कैंसर की बीमारी हुई होगी। मंगलवार को विकास भवन में सीडीओ की अध्यक्षता में रिपोर्ट तैयार करने को मंथन हुआ, लेकिन एनजीटी में दाखिल किये जाना वाला जवाब फाइनल नहीं हो सका।

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इन्होंने कहा..

--हमने सर्वे कराया तो 40 गांवों में कैंसर मरीज मिले हैं। कैंसर मरीज विभिन्न अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं। प्रदूषित जल से इनमें से किसी को कैंसर रोग नहीं हुआ। कैंसर की चपेट में आने का दूसरा कारण रहा होगा।

-सुषमा चंद्रा, सीएमओ। -प्रदूषित जल से प्रभावित गांवों में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति, जैविक खेती कराने, मेडिकल हेल्थ कैंप लगवाने, हिडन किनारे गांवों में पार्क बनवाने जैसे कार्यों की रिपोर्ट बना ली गई है।

-पीसी जायसवाल, सीडीओ।


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