नाबालिग ने कॉल कर रुकवाई अपनी शादी
इस दौर में भी कम उम्र की बेटियां ब्याह दी जा रही हैं। वहीं बागपत में एक बिटिया ने मां-बाप के हाथों हो रहे बाल विवाह के अपराध रोकने की शानदार मिसाल पेश की है।
बागपत, जेएनएन। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' नारा बेमानी हो गया है। बागपत समेत अन्य जिलों में बेटियों को पढ़ने-लिखने की उम्र में अक्सर गृहस्थी का ककहरा पढ़ा दिया जाता है। बागपत में एक बिटिया ने मां-बाप के हाथों हो रहे बाल विवाह का अपराध रोकने की नायाब मिसाल पेश की है। समझाने पर मां-बाप नहीं माने तो उसने चाइल्ड हेल्पलाइन पर कॉल कर अपनी शादी कानून का सहारा लेकर रुकवा दी। बिटिया ने दो टूक कहा कि पहले शिक्षा हासिल करूंगी। इसके बाद दुल्हन बनूंगी..।
थाना बालैनी के एक दंपती ने कक्षा 11वीं में पढ़ रहीं अपनी 15 वर्षीय बिटिया का रिश्ता तय कर दिया था। उसने माता-पिता को समझाया कि मेरी उम्र पढ़ने-लिखने की है। वह शादी नहीं करेंगी, लेकिन माता-पिता नहीं माने। 16 फरवरी को शादी तय कर दी गई। घर में शादी की तैयारियां जोरों पर थीं। शादी टलती न देख बिटिया ने एक सप्ताह पूर्व चाइल्ड हेल्पलाइन-1098 पर कॉल कर खुद को नाबालिग बताकर शादी रुकवाने की गुहार लगाई।
चाइल्ड हेल्पलाइन लखनऊ ने उक्त शिकायत वन स्टॉप सेंटर (महिला हेल्पलाइन-181) बागपत को रेफर की। 13 फरवरी को वन स्टाप सेंटर की सुगमकर्ता खुशनसीब ने बताया कि वह महिला पुलिस के साथ गांव पहुंची। बिटिया के माता-पिता शादी रोकने के बजाय उल्टे उन्हें समझाने लगे कि तय तारीख पर शादी नहीं की तो हम समाज में क्या मुंह दिखाएंगे? उन्हें बाल विवाह अपराध होने और कानूनी कार्रवाई का हवाला दिया गया तो वो मान गए। बिटिया बोली कि शादी से पहले सपनों का करियर बनाना जरूरी है। गौरतलब है कि वन स्टॉप सेंटर बागपत की टीम जून 2017 से अब तक 28 बाल विवाह रुकवा चुकी है।
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इनका कहना है..
वन स्टॉप सेंटर की टीम संबंधित गांव में भेजकर बाल विवाह रुकवाया। लड़की की 18 वर्ष तथा लड़के की 21 वर्ष से कम उम्र में शादी करना अपराध है।
- विमल कुमार ढाका, प्रोबेशन अधिकारी।