सुन लो गांव वालों कि अभी सोया है निजाम..
अफसरशाही का नमूना देखिए कि 24 दिन से 244 ग्राम पंचायतों का काम रामभरोसे है। आज तक प्रशासकों के डिजिटल सिग्नेचर भी नहीं हुए।
जेएनएन, बागपत: अफसरशाही का नमूना देखिए कि 24 दिन से 244 ग्राम पंचायतों का काम रामभरोसे है। विकास की बात छोड़िए..आज तक प्रशासकों के डिजिटल सिग्नेचर एक्टिव नहीं हुए हैं। इसका खामियाजा ग्रामीण भुगतने को मजबूर हैं, क्योंकि गांवों में विकास का पहिया थमने की मार तो उन पर ही पड़ेगी ना..।
25 दिसंबर को प्रधानों का कार्यकाल खत्म होने पर विभिन्न विभागों के 19 सहायक विकास अधिकारियों को ग्राम पंचायतों में प्रशासक बनाया गया, लेकिन अफसरान के गहरी नींद में होने से गांवों में कोई खर्चा नहीं हुआ। दरअसल पंचायत विभाग ने इन प्रशासकों के डिजिटल सिग्नेचर एक्टिव नहीं कराए, जिससे वे कोई भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। इससे गांवों में कूड़ा -कचरा निस्तारण, पानी निकासी, पेयजल परियोजनाओं का बेहतर संचालन और गरीबों को ठंड से बचाने को अलाव तक जलवाने का काम ठप है।
हैरानगी की बात यह है कि अधिकांश ग्रामीणों को पता ही नहीं कि उनके गांव का प्रशासक कौन है। अपवाद छोड़ दें तो फिर
प्रशासकों के पास भी इतना समय नहीं कि गांवों का दौरा कर ग्रामीणों की समस्याओं का निराकरण करा सकें।
जिला पंचायत राज अधिकारी कुमार अमरेंद्र ने कहा कि ऐसा नहीं गांवों में काम चल रहे हैं। सीडीओ अभिराम त्रिवेदी ने कहा कि पंचायतों में नियुक्त प्रशासकों के डिजिटल सिग्नेचर एक्टिव कराने का निर्देश खंड विकास अधिकारियों को देंगे।
4.5 लाख दिलाने की मांग
बागपत : कस्बा बड़ौत निवासी इरशाद ने बताया कि उसके पिता इब्राहिम ने एक व्यक्ति को 4.5 लाख रुपये दिलाए थे। आरोप है कि व्यक्ति रुपये नहीं लौटा रहा है। उसने एसपी से शिकायत की।