पितृ पक्ष में नए कार्यो पर रोक का नहीं है कोई उल्लेख
पितृ पक्ष के आवागमन के साथ ही शहर के बाजारों से रौनक गायब हो गई है।
बागपत, जेएनएन। पितृ पक्ष के आवागमन के साथ ही शहर के बाजारों से रौनक गायब हो गई है। लोग नई खरीदारी से बच रहे हैं, केवल रोजमर्रा से जुड़ी जरूरी वस्तुएं ही खरीद रहे हैं। ऐसे में शहर के बाजार सुबह से शाम तक सुनसान दिखाई देने लगे हैं।
पितृ पक्ष का सबसे अधिक असर कार, बाइक के साथ ही सराफा बाजार पर पड़ रहा है। पितृ पक्ष में नया सामान या वाहन खरीदना शुभ नहीं माना जाता। ऐसी भ्रांति है, इसलिए कोई भी व्यक्ति पितृ पक्ष में नया वाहन या आभूषण नहीं खरीदना चाहता। इस कारण पितृ पक्ष की शुरुआत से अब तक विभिन्न एजेंसियों में वाहनों की खरीद न के बराबर हुई हैं। यही हालात सराफा बाजार की है।
हर वर्ष 15 दिनों के लिए पितृ पक्ष का आवागमन होता है। इन दिनों प्रत्येक परिवार अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धा भाव से विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान करता है। साथ ही पितरों के प्रति आस्था दिखाते हुए इन दिनों ने नई खरीदारी नहीं की जाती।
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श्राद्ध के कारण सराफा बाजार में हलचल कम है। इससे पहले व्यापार ठीक था, लेकिन श्राद्ध शुरू होते ही खरीदारी एकदम से बहुत कम हो गई है। ।
-प्रभात जैन, संतोष ज्वैलर्स बड़ौत।
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पितृ पक्ष में हर बार वाहनों की बिक्री कमजोर रहती है। नवरात्र और दीपावली पर बिक्री अच्छी होने की उम्मीद है।
-श्रवण तोमर, शिव शक्ति होंडा-बजाज आटोमोबाइल बड़ौत।
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हर साल कनागतों के 15 दिनों तक व्यापार में मंदी छा जाती है। लोग नई चीजों की खरीदारी और शुभ कार्यों को करने से परहेज करते हैं।
-अरुण तोमर बोबी, जिलाध्यक्ष उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल।
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क्या कहते हैं शास्त्र
पंचवटी मंदिर के पुजारी पंडित कुंदन भारद्वाज के मुताबिक, पितृ पक्ष को लेकर लोगों में भ्रम बना हुआ है कि यह समय अशुभ होता है। कोई भी नई चीज नहीं खरीदनी चाहिए, लेकिन किसी भी ग्रंथ में इसका उल्लेख नहीं है। पुराणों और ग्रंथों में पितरों के लिए श्रद्धा की बात ही कही गई है। सिर्फ मृत्यु सूतक में ही शुभ कार्यों के लिए खरीदारी नहीं की जा सकती है।