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कार्यशील पूंजी और दक्ष कामगारों की कमी से कराह रहा रिम-धुरा उद्योग

कोरोना ने उद्योगों के सामने भी चुनौतियों का अंबार खड़ा कर दिया है। पटरी से उतरी इनकी अर्थव्यवस्था तमाम सरकारी सहायता के बावजूद ढर्रे पर आने में अभी काफी समय लेगी। लॉकडाउन-4 में छूट मिलने के बावजूद कार्यशील पूंजी कच्चे माल और कामगारों की कमी के कारण अभी तक एक चौथाई इकाइयां भी शुरू नहीं हुई हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 10:04 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 07:39 AM (IST)
कार्यशील पूंजी और दक्ष कामगारों की कमी से कराह रहा रिम-धुरा उद्योग
कार्यशील पूंजी और दक्ष कामगारों की कमी से कराह रहा रिम-धुरा उद्योग

बागपत, जेएनएन। कोरोना ने उद्योगों के सामने भी चुनौतियों का अंबार खड़ा कर दिया है। पटरी से उतरी इनकी अर्थव्यवस्था तमाम सरकारी सहायता के बावजूद ढर्रे पर आने में अभी काफी समय लेगी। लॉकडाउन-4 में छूट मिलने के बावजूद कार्यशील पूंजी, कच्चे माल और कामगारों की कमी के कारण अभी तक एक चौथाई इकाइयां भी शुरू नहीं हुई हैं।

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शहर के प्रमुख रिम-धुरा उद्योग की 90 फैक्ट्रियां है, जिनमें से अभी तक 25 ही संचालित हो पाईं हैं। लॉकडाउन में तकरीबन दो माह तक लगातार बंद रहने के कारण इन इकाइयों का कारोबार बहुत हद तक ठप सा हो गया है। बिजली-पानी के बिलों की राशि और कामगारों के खर्च ने मामला और मुश्किल कर दिया है। औद्योगिक क्षेत्रों में सफाई और सैनिटाइजेशन की व्यवस्था भी पुख्ता नहीं है। दूसरे प्रदेशों से आए कामगार अब घर वापसी कर चुके हैं लिहाजा दोगुने दामों पर भी प्रशिक्षित मजदूर ढूंढे नहीं मिल पा रहे। आलम यह है कि बहुत से उद्यमी वैकल्पिक दिनों में किसी तरह अपनी फैक्ट्री चला रहे हैं तो कुछ पार्टियों से पुराना पैसा और नए ऑर्डर नहीं मिलने की वजह से घर बैठने पर मजबूर हैं।

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आवक व खपत प्रभावित होने से संकट

बड़ौत से महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, बिहार तथा यूपी के कई जिलों में रिम-धुरों की सप्लाई होती है। फिलहाल कच्चे माल की कीमत आवक न होने के कारण बढ़ी हुई है और सभी जगहों पर अभी बाजार पूरी तरह न खुलने से खपत पर भी संकट के बादल हैं। स्थित यह है कि मजदूरों के अभाव में उत्पादन इकाइयां के पुराने ऑर्डर पूरे करने में भी पसीने छूट रहे हैं।

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क्या कहते हैं कारोबारी

लॉकडाउन-फॉर में छूट के बाद उद्योग तो शुरू हो गए हैं लेकिन जो मजदूर इकाईयों में काम कर रहे थे। वह चले गए हैं। ऐसे में उद्योग शुरू होने के बाद भी दिक्कतें आ रही हैं। बाजार भी बंद है। अगर सरकार बिजली-पानी बिल माफ कर दे अथवा फिक्स चार्ज ही हटा दे और बैंक इन उद्यमियों को ब्याज मुक्त ऋण मुहैया करा दें तो भी इन मझोले उद्योगों की हालत में काफी सुधार हो सकता है।

-अरुण तोमर बोबी, जिलाध्यक्ष उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल बागपत

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अधिकांश उद्यमी सोनीपत, दिल्ली, हरियाणा आदि जगहों से यहां पर उद्योग चलाने आते हैं, लेकिन पास न मिलने के कारण प्रतिदिन उद्यमियों को पुलिस परेशान करती है। इसके अलावा जिन व्यापारियों का जीएसटी सरकार के पास एडवांस जमा है, उसे भी तुरंत रिलीज करना चाहिए। साथ ही ऋण भी जल्द जारी करने की व्यवस्था की जाए। जीएसटी का एडवांस पैसा वापस मिलने पर भी व्यापारियों को बहुत राहत मिल सकती है।

-दीपक जैन, जय भारत इंडस्ट्री, बड़ौत


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