गंगा में प्रवाहित करने के बजाए खेत में दबाई गईं अस्थियां
संवाद सूत्र दाहा (बागपत): आर्य समाज के प्रधान रहे जय ¨सह राणा मरने के बाद भी समाज में पर्यावर
संवाद सूत्र दाहा (बागपत): आर्य समाज के प्रधान रहे जय ¨सह राणा मरने के बाद भी समाज में पर्यावरण संरक्षण की अलख जगा गये। ¨जदा रहते जय ¨सह राणा अपने परिजनों से कह गए थे कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी अस्थियों को नदी में न प्रवाहित किया जाए। राणा के अनुरोध पर मृतक की अस्थियों को परिजनों ने गंगा में प्रवाहित न कर अपने खेत में ही जमीन में दफना दिया।
निरपुड़ा निवासी जय ¨सह राणा की 99 वर्ष की दस फरवरी को मृत्यु हो गयी थी। इसके बाद परिजनों ने मंगलवार को उसकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित न कर अपने ही खेत में जमीन में गाड़ दिया। जय ¨सह राणा के बेटे ब्रजपाल ने बताया कि उसके पिता जय ¨सह सरकारी नलकूप आपरेटर से सेवानिवृत्त हुये थे। ये आर्य समाज के 30 वर्ष प्रधान भी रहे। बताया कि जय¨सह के तीन बेटे ऋषिपाल, ब्रजपाल व हरवीर है। बताया कि उनके पिता की इच्छा थी कि उनकी अस्थियां गंगा या किसी नदी नहर आदि में प्रवाहित न की जाएं, क्योंकि इससे जल प्रदूषित होगा। इसलिए उनकी अस्थियां खेत में ही जमीन में गाड़ दी जाएं। उस स्थान पर एक पौधा लगाया जाए ताकि पौधा पेड़ बनकर जनता को प्रदूषण से बचाये और छाया व फल आदि दे सके। मंगलवार को उनके परिजनों हरवीर, ऋषिपाल, धीरेंद्र, र¨वद्र, अंकित, देशिन्द्र, प्रवीण आदि परिजनों ने अस्थियों को उनकी इच्छा अनुसार ही खेत में गाड़ दिया। बताया कि उनकी इच्छा यह भी रही है कि मृत्यु भोज बंद हो उसकी जगह शांति यज्ञ कराया जाये। वेद प्रचार में अधिक से अधिक दान दिया जाए। इनकी माता लक्ष्मी का देहांत वर्ष 2013 में हुआ था। उनकी अस्थियां भी जमीन में ही गाड़ दी गयी थी।