बेटियों को नहीं पढ़ाने पर भिड़ गई जीवनसाथी से, जानिए आखिर कैसे माना पति Bagpat News
बागपत के घिटोरा गांव में बेटियों को पढ़ाने से इन्कार करने पर इनकी मां अपने पति से उलझ गई। मारपीट सहन कीलेकिन हिम्मत नहीं हारी। आखिरकार पति को झुकना ही पड़ा।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 22 Jun 2019 12:20 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2019 12:20 PM (IST)
बागपत, [जहीर हसन]। बेटियों को लेकर अब समाज का नजरिया बदलने लगा है। पराया धन मानकर इन्हें चोका-बर्तन तक सीमित रखने वाले तंग जहन लोगों की अब शामत आनी शुरू हो गई। बागपत के घिटोरा गांव में बेटियों को पढ़ाने से इन्कार करने पर इनकी मां अपने पति से उलझ गई। मारपीट सहन की,लेकिन हिम्मत नहीं हारी। उसने अपने जीवनसाथी को तलाक तक की चेतावनी दी। बात नहीं बनने पर महिला हेल्पलाइन की शरण लेकर बेटियों को पढ़ाने के लिए पति को तैयार किया।
ऐसे बढ़ा दोनों में विवाद
महिला हेल्पलाइन कर्मी रश्मि ने बताया कि डोली तीन बेटियों की मां है। एक बेटी छोटी है, लेकिन दो बेटियां खुशी और तुलसी क्रमश: छह और आठ साल की हैं। दोनों बेटियां प्राथमिक स्कूल में कक्षा दो और तीन में पढ़ती हैं, लेकिन उनके पति ने दोनों को आगे पढ़ाने से मना कर दिया। बेटियों को पढ़ाने को लेकर दोनों के बीच विवाद बढ़ गया।
बेटियों को नहीं पढ़ाया तो मुझे नहीं रहना साथ
पति ने पत्नी डोली की पिटाई कर दी, लेकिन वह नहीं टूटी। पति ने फिर वही जवाब दिया कि बेटियों को पढ़ा लिखाकर क्या करना है? बेटियां तो पराया धन है। इन्हें घरेलू कार्य सिखाना चाहिए। डोली ने पति से साफ कह दिया कि यदि बेटियों को नहीं पढ़ाएंगे तो वह उनके संग कतई नहीं रहेंगी। साथ रहना है तो बेटियों को उच्चस्तर की पढ़ाई करानी होगी। वह नहीं चाहती है कि उसकी बेटियां भी निरक्षरता व गरीबी का दंश ङोलें। महिला हेल्पलाइन कर्मियों ने पति व पत्नी को बुलाकर काउंसिलिंग की तो, महिला के पति ने अपनी कम कमाई होने का हवाला दिया।
बाद में मान गया पति
महिला हेल्पलाइन कर्मियों ने दोनों बेटियों का दाखिला कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में कराने की बात कही, तो महिला का पति दोनों बेटियों को वहां पढ़ाने को तैयार हो गया। महिला हेल्पलाइन प्रभारी व बाल संरक्षण अधिकारी दीपांजलि के बात करने पर बीएसए ने दोनों बेटियों को कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय बड़ौत में प्रवेश दिलाने का आश्वासन दिया है।
इनका कहना है
डोली ने अपने पति के खिलाफ दोनों बेटियों का पढ़ाने से इन्कार करने और मारपीट करने की शिकायत की थी। काउंसिलिंग करने पर महिला का पति दोनों बेटियों को पढ़ाने को तैयार हो गए है।
- विमल कुमार ढाका,जिला प्रोबेशन अधिकारी।
ऐसे बढ़ा दोनों में विवाद
महिला हेल्पलाइन कर्मी रश्मि ने बताया कि डोली तीन बेटियों की मां है। एक बेटी छोटी है, लेकिन दो बेटियां खुशी और तुलसी क्रमश: छह और आठ साल की हैं। दोनों बेटियां प्राथमिक स्कूल में कक्षा दो और तीन में पढ़ती हैं, लेकिन उनके पति ने दोनों को आगे पढ़ाने से मना कर दिया। बेटियों को पढ़ाने को लेकर दोनों के बीच विवाद बढ़ गया।
बेटियों को नहीं पढ़ाया तो मुझे नहीं रहना साथ
पति ने पत्नी डोली की पिटाई कर दी, लेकिन वह नहीं टूटी। पति ने फिर वही जवाब दिया कि बेटियों को पढ़ा लिखाकर क्या करना है? बेटियां तो पराया धन है। इन्हें घरेलू कार्य सिखाना चाहिए। डोली ने पति से साफ कह दिया कि यदि बेटियों को नहीं पढ़ाएंगे तो वह उनके संग कतई नहीं रहेंगी। साथ रहना है तो बेटियों को उच्चस्तर की पढ़ाई करानी होगी। वह नहीं चाहती है कि उसकी बेटियां भी निरक्षरता व गरीबी का दंश ङोलें। महिला हेल्पलाइन कर्मियों ने पति व पत्नी को बुलाकर काउंसिलिंग की तो, महिला के पति ने अपनी कम कमाई होने का हवाला दिया।
बाद में मान गया पति
महिला हेल्पलाइन कर्मियों ने दोनों बेटियों का दाखिला कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में कराने की बात कही, तो महिला का पति दोनों बेटियों को वहां पढ़ाने को तैयार हो गया। महिला हेल्पलाइन प्रभारी व बाल संरक्षण अधिकारी दीपांजलि के बात करने पर बीएसए ने दोनों बेटियों को कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय बड़ौत में प्रवेश दिलाने का आश्वासन दिया है।
इनका कहना है
डोली ने अपने पति के खिलाफ दोनों बेटियों का पढ़ाने से इन्कार करने और मारपीट करने की शिकायत की थी। काउंसिलिंग करने पर महिला का पति दोनों बेटियों को पढ़ाने को तैयार हो गए है।
- विमल कुमार ढाका,जिला प्रोबेशन अधिकारी।
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