आलू की फसल की तरफ बढ़ा किसानों का रुझान
कोरोना काल में किसानों का रुझान आलू की फसल की तरफ बढ़ रहा है। पूर्व की अपेक्षा इस बार आलू का रकबा करीब 10 प्रतिशत बढ़ने के आसार हैं।
बागपत, जेएनएन। कोरोना काल में किसानों का रुझान आलू की फसल की तरफ बढ़ रहा है। पूर्व की अपेक्षा इस बार आलू का रकबा करीब 10 प्रतिशत बढ़ने के आसार हैं।
क्षेत्र के रटौल, गौना सहवानपुर, लहचौड़ा, सिगौलीतगा, विनयपुर, बड़ागांव में आलू की खेती व्यापक स्तर पर होती है। गत वर्ष जिले में 25 हेक्टेयर रकबा में आलू की खेती हुई थी। इस बार खेती में करीब 10 प्रतिशत का इजाफा होगा।
किसान हनीफ का कहना है कि अधिक बीज नहीं मिलने से बढ़ने वाले रकबे में अधिक इजाफा नहीं होगा। किसान आरिफ का कहना है कि अगेती फसल पुखराज है, जिसे जल्द जमीन से निकालकर बेचा जा सकता है। पिछड़ी प्रजाति में 3797, ज्योति वैराइटी मुख्य है। अगेती फसल की बुआई को किसानों ने खेतों में गोबर आदि की खाद भी डालनी शुरू की है।
किसान टीनू त्यागी का कहना है कि अगेती फसल के लिए 10 अक्टूबर से बुआई शुरू होगी। सोमवार से क्षेत्र में धान की कटाई भी शुरू होनी वाली है। आलू के लिए गोबर खाद अधिक व कम से कम उर्वरकों का प्रयोग किया जाएगा। वह करीब 20 बीघा आलू की बुवाई करेंगे।
किसान कन्नू त्यागी ने कहा कि आलू की कई वैराइटी होती हैं। बेहतर वैराइटी अगेती फसल में होती है। अगेती फसल से अधिक मुनाफा भी होता है। इस बार क्षेत्र में दर्जन भर से ज्यादा नए किसान आलू की खेती कोराना काल में मुनाफे के लिए करेंगे।
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इन्होंने कहा..
आलू की बुवाई के लिए तापमान 28 डिग्री के आसपास होना चाहिए। गर्मी अधिक होने के कारण अभी बुआई शुरू नहीं हो सकती है। धान व अन्य फसल की कटाई के बाद किसान आलू की बुआई कर सकेंगे। आलू बुवाई के लिए भुरभुरी जमीन हो तथा पोटाश का प्रयोग किसान को जरूर करना चाहिए। क्षेत्र में चिपसोना-वन की अधिक बुवाई होती है। यह शुगर फ्री के नाम से भी जाना जाता है।
बुवाई के लिए कई किसान मोदीपुर आलू अनुसंधान केंद्र से बीज भी लेकर आ चुके हैं। किसानों के रुझान को देखकर आलू का रकबा करीब 10 प्रतिशत बढ़ने के आसार हैं।
कृषि वैज्ञानिक डा. संदीप चौधरी