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सिंघु व गाजीपुर बार्डर का रास्ता भूल गए बागपत के किसान

तीन कृषि कानूनों के विरोध में आदोलन भले ही जारी हो लेकिन बागपत के किसान अब गांवों में व्यस्त हो गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Apr 2021 10:06 PM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 10:06 PM (IST)
सिंघु व गाजीपुर बार्डर का रास्ता भूल गए बागपत के किसान
सिंघु व गाजीपुर बार्डर का रास्ता भूल गए बागपत के किसान

बागपत, जेएनएन। तीन कृषि कानूनों के विरोध में आदोलन भले ही जारी हो, लेकिन बागपत के किसान अब गाजीपुर व सिंघु बार्डर जाने वाले रास्ते अर्थात दिल्ली-सहारनपुर नेशनल हाईवे और ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे पर नजर नहीं आते। करीब एक माह पहले तक इन रास्तों पर ट्रैक्टर ट्रालियों में खाना, गुड़ और अन्य रसद ले जाते किसानों का जत्था नजर आता था। अब वही किसान इन रास्तों को मानों भूल गए हैं। कारण जानने के लिए गाव व खेत का रुख किया तो पता चला कि किसान गन्ने व गेहूं की कटाई के साथ ही पंचायत चुनाव में व्यस्त हो गए हैं। आदोलन अब उनके लिए दूसरे दर्जे की बात हो गई है। गाव अंगदपुर के किसान नीरज शर्मा कहते हैं कि पहले कृषि कानूनों के बारे में गुमराह किया गया। इसी कारण वह भी आदोलन में शामिल होने गाजीपुर गए थे। बाद में सच्चाई पता चली कि कृषि कानून तो किसानों के भले के लिए है। इसके बाद आदोलन स्?थल से वापस लौट आए। खेतों पर जाकर गन्ने की कटाई की और शुगर मिल में गन्ने की सप्लाई की। अब गन्ने का पेमेंट मिल गया है। आराम से परिवार की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।

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बागपत शहर के किसान शकील और हारून कहते हैं कि किसान की पहली जरूरत फसल है। यदि फसल ही खराब हो गई तो परिवार क्या खाएगा और कैसे बच्चों की शिक्षा व अन्य जरूरतें पूरी होंगी। गाव जौहड़ी के किसान जितेंद्र और गाव निरोजपुर के नरेश कहते हैं कि फिलहाल वह पंचायत चुनाव में एक प्रत्याशी का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने गेहूं की फसल सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य पर ही सहकारी गेहूं क्रय केंद्र पर बेची, झट से पैसा भी बैंक एकाउंट में पहुंच गया। दोनों कहते हैं कि कृषि कानून का विरोध विपक्षी दलों की राजनीति हैं, किसानों को इससे बचना चाहिए।

काम निबटाकर जाएंगे आदोलन में

वहीं कुछ किसान ऐसे भी हैं जो अपना काम निबटाकर आदोलन में हिस्सा लेंगे। धामा खाप के चौधरी जितेंद्र धामा, मास्टर नेपाल सिंह, ब्रहृमपाल और हरपाल सिंह कहते हैं कि पंचायत चुनाव और खेतों का काम समाप्त होने के बाद आदोलन में शामिल होंगे। गाव सरूरपुरकला के राजपाल कहते हैं कि गाव में मकान बनाने का काम पूरा होने के बाद आदोलन में जाएंगे। धर्मपाल बताते हैं कि बेटी की शादी के कारण किसान आदोलन में नहीं गए। बेटी की शादी हो गई है, अब खेतों में काम पूरा होने के बाद ही गाजीपुर जाएंगे। ----------

इन्होंने कहा .. पंचायत चुनाव और खेतों का काम समाप्त होने के बाद ग्रामीण किसान आदोलन में शामिल होंगे।

- डा. जगपाल सिंह, जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय लोक दल

किसान अब विपक्ष की चाल को अच्छे से समझ गया है। कृषि कानून किसानों के हित में है, यह बात किसानों की समझ में आ गई है। - जसवीर सिंह, संयोजक भाजपा किसान मोर्चा -------------------

गेहूं कटाई और चुनाव में जुटे किसान

मुजफ्फरनगर : कृषि कानूनों के विरोध में गाजीपुर बार्डर पर चल रहे किसान आदोलन से अन्नदाता लौट रहे हैं, जबकि वापस जाने वाले बेहद कम हैं। दरअसल, किसान इन दिनों खेती में रमे हैं। इन सबके बीच जो समय मिलता है, उसमें चुनावी चर्चा से लेकर प्रत्याशियों के साथ समय गुजार रहे हैं। गाव रहमतपुर के किसान धीर सिंह बताते हैं कि 15 दिन पहले दिल्ली बार्डर से घर आए थे। आदोलन चल रहा है, लेकिन कृषि कार्य भी जरूरी है। पूरे साल के लिए अन्न जुटाना है। आदोलन में तो गेहूं कटाई के बाद भी शामिल हो सकते हैं, लेकिन गेहूं कटाई का समय दोबारा नहीं मिलेगा। गन्ने की अगली फसल की तैयारी भी करनी है। गाव भौराकला के किसान सुभाष सिंह बताते हैं कि लंबे समय से गाजीपुर बार्डर पर आदोलन जारी है। यह कब तक चलेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में कृषि कार्यो को नहीं छोड़ा जा सकता। अन्नदाता के लिए यह बेहद अहम समय है। अब खेती कार्य पूर्ण करने के बाद ही आदोलन में शामिल होने के बारे में सोचेंगे।


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