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सांसद सत्यपाल किसान संवाद में पहुंचे, स्वागत

भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह बुढ़पुर गांव में कृषि कानूनों पर संवाद करने पहुंचे तो लोगों ने स्वागत किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 11:54 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 11:54 PM (IST)
सांसद सत्यपाल किसान संवाद में पहुंचे,  स्वागत
सांसद सत्यपाल किसान संवाद में पहुंचे, स्वागत

बागपत, जेएनएन। भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह बुढ़पुर गांव में कृषि कानूनों पर संवाद करने पहुंचे तो लोगों ने उनका फूल बरसाकर ढोल नगाड़ों से स्वागत किया। उनके पहुंचने पर किसानों की भीड़ उमड़ पड़ी। तीनों कृषि कानूनों पर किसानों ने उनकी बात को गंभीरता से सुना। सांसद ने विपक्षी पार्टियों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए उनसे सावधान रहने के लिए आगह किया।

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बुढ़पुर गांव में सहंसरपाल के आवास पर तीनों कृषि कानूनों पर किसानों से संवाद करने पहुंचे सांसद सत्यपाल सिंह ने कहा कि तीनों कृषि कानून किसान हितैषी हैं। इन कानूनों से किसान अपनी फसल किसी भी राज्य में बेच सकता है। विपक्षी पार्टियां कानूनों को काले कानून बता रही है, लेकिन कानून में क्या काला है? यह नहीं बता पा रही है। इन कानूनों में किसानों को व्यापारी से करार तोड़ने का अधिकार दिया है। व्यापारी किसानों की भूमि पर कोई ऋण नहीं ले सकता है यदि किसी आपदा के समय फसल का कोई नुकसान होता है तो उसके लिए भी बीमा करवाने के लिए भी व्यापारियों को किसानों की सहमति लेनी होगी। उन्होंने कहा कि किसान नेता बनने वाले राकेश टिकैत ने ही पहले इन कानूनों का समर्थन किया था, लेकिन अब सभी जानते हैं कि क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि व्यापारियों ने यदि किसान के खेत में कोई नलकूप या कोई आवास बनाया तो कांट्रेक्ट खत्म होने पर वह संपत्ति किसान की होगी। नए कृषि कानूनों में किसानों की भूमि कभी कुर्क नहीं की जा सकती। इस दौरान सुभाष पहलवान, छपरौली चैयरमैन संजीव खोखर, सुरेश एडवोकेट, अजित एडवोकेट, रूपक तोमर, विक्रम राणा, प्रभात तोमर, बाबूराम आदि मौजूद थे।

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चल दिए सांसद तो लगा दिए नारे

उधर, किसानों से संवाद के बाद सांसद जब गाड़ी में बैठकर चल दिए तो विपक्षी पार्टी के कुछ लोगों ने नारेबाजी करते हुए विरोध करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया। इस दौरान लोगों ने किसान एकता जिदाबाद और राकेश टिकैत के नारे लगाए। इंस्पेक्टर शिवप्रकाश ने बताया कि सांसद जब चले गए तो तीन-चार लोगों ने किसान यूनियन के नारे लगाए थे। विरोध नहीं हुआ है।


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