कोरोना में नहीं डगमगाया वर्षा का हौसला
हौसला मजबूत हो तो पहाड़ सी लगने वाली ऊंचाई भी बौनी साबित हो जाती है।
बागपत, जेएनएन। हौसला मजबूत हो तो पहाड़ सी लगने वाली ऊंचाई भी बौनी साबित हो जाती है। कोरोना काल में एएनएम वर्षा का हौसला डगमगाया नहीं। जब हर कोई डरा-सहमा था, तब वह लोगों की सेवा कर रही थी। आज उनके प्रयास से गांव के लोग सुकून में हैं।
एएनएम वर्षा पाबला बेगमाबाद पीएचसी पर तैनात हैं। उनकी पोस्टिग बाघू-संतोषपुर गांव में हैं। कोरोना महामारी के दौरान इस गांव में 27 केस मिले थे। लगातार मिल रहे केस की वजह से स्वास्थ्य विभाग टेंशन में था। वर्षा ने बताया कि लगातार केस मिल रहे थे, तो गांव के लोग भी उन्हें ताने मारने लगे कि एएनएम बहनजी, कहां से पैसे देकर गांव में केस निकाले जा रहे हैं। तरह-तरह की बातें होती थी। विरोध का भी सामना करना पड़ा। इतना विरोध हुआ कि पुलिस को बुलाना पड़ा था। इन सब परेशानियों के बावजूद हमने हिम्मत नहीं हारी। आशा, आंगनबाड़ी के साथ घर-घर में पहुंचकर सर्वे किया। संदिग्धों के सैंपल कराए। जब सबसे पहला केस मिला, तब अपने पति के साथ रात के 11 बजे गांव पहुंची थी। रातभर सैंपल कराए और संक्रमित को कोविड-19 अस्पताल में भर्ती कराया।
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परिवार से बनाई दूरी
कोरोना काल में वह अपने घर तो रहती थी, लेकिन अपने परिवार से दूर थी। सुबह होते ही घर छोड़ देती थी और रात के अंधेरे में ही घर लौटती थी। नौ साल का बेटा दिव्यम और 11 साल का बड़ा बेटा परिवंश और ससुर के सामने खाने-पीने की बहुत परेशानी हुई थी।
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कहां से ला रहे हैं इतने पॉजिटिव
वर्षा बताती है कि गांव में जब लगातार कोरोना के केस मिल रहे थे तो ग्रामीण उन्हें बोलते थे कहां से इतने पाजिटिव केस ला रहे हैं? इसके लिए किसी ने पैसे दिया है क्या? हर रोज लोगों को समझाना पड़ रहा था। झगड़ा करने पर उतारू हो जाते थे।
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कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग के हर कर्मचारी ने सराहनीय कार्य किया है। संक्रमण काल में लोगों के बीच पहुंचकर कार्य करने वाला कर्मचारी बड़ा योद्धा रहा । एएनएम वर्षा का कार्य भी सम्मान के काबिल रहा।
डा. आरके टंडन, मुख्य चिकित्साधिकारी।