डा. सुरुचि ने तैयार किया कोरोना का सुरक्षा कवच
डा. सुरुचि शर्मा ने हमेशा ड्यूटी को धर्म और जनसेवा को अपना कर्म समझा।
बागपत, जेएनएन। डा. सुरुचि शर्मा ने हमेशा ड्यूटी को धर्म और जनसेवा को अपना कर्म समझा। इसी संकल्प के साथ वह कोरोना लाकडाउन व अनलाक के दौरान अवकाश के दिनों में भी काम करती रहीं। बेटे से चार माह तक दूर रहीं। उन्होंने काफी सराहनीय और अनुकरणीय कार्य किया। इस बात की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
डा. सुरुचि शर्मा स्वास्थ्य विभाग में जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैं। उन्हें मलेरिया अधिकारी की भी जिम्मेदारी दी गई। इस जिम्मेदारी को उन्होंने कोरोना संक्रमण के दौरान बाखूबी निभाया। पूरे जिले में उनके निर्देशन में सैनिटाइजेशन हुआ। गली, मोहल्लों में एंटी लार्वा दवा का छिड़काव किया गया। यह कामयाबी उन्होंने अपनी टीम के सहयोग से हासिल की। दमकल विभाग और सफाई कर्मचारियों का सबसे बड़ा सहयोग रहा। घर-घर पहुंचकर आशाओं के सहयोग से लोगों को जागरूक किया। चार माह तक दूर से ही बेटे को दुलारा
कोरोना लाकडाउन व अनलाक में डा. सुरुचि बेटे से भी नहीं मिल पा रही थीं। वह छह साल के बेटे को अपने माता-पिता के पास छोड़कर सुबह ही ड्यूटी पर पहुंच जाती थीं। दिन में एक-दो बार वीडियो काल से बेटे से बात करतीं और उसे दुलारती थीं। चार माह तक यही रुटीन रहा। सात बार कराई जांच, हर बार निगेटिव
लोग कोरोना से डर रहे थे, लेकिन डा. सुरुचि उनके लिए सुरक्षा कवच बनाने में जुटी थीं। उन्हें एक बार लगा कि वायरस की चपेट आ गई हैं। जांच के बाद रिपोर्ट निगेटिव आई तो राहत मिली। फिर काम में जुट गईं। उन्होंने सात बार कोरोना जांच कराई, हर बार उनकी रिपोर्ट निगेटिव रही।