रजवाहे की पटरी टूटने से फसल जलमग्न, हंगामा
किशनपुर बराल गांव के जंगल में रजवाहे की पटरी टूटने से किसानों की सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न हो गई। पीड़ित किसानों ने हंगामा करते हुए सिचाई विभाग से मुआवजा देने की मांग की है। पूर्वी यमुना नहर से निकलकर किशनपुर बराल गांव के जंगल से होकर रजवाहा गुजर रहा है। इसकी पटरी काफी जर्जर हालत में हो रही है। बुधवार रात को नजर में पानी अधिक छोड़े जाने के बाद रजवाहे की पटरी टूट गई जिसके बाद गेहूं सरसों व गन्ने की लगभग 250 बीघा फसल जलमग्न हो गई। सुबह जानकारी मिलने पर किसानों ने सूचना देकर रजवाहे का पानी बंद कराया।
बागपत, जेएनएन। किशनपुर बराल गांव के जंगल में रजवाहे की पटरी टूटने से किसानों की सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न हो गई। पीड़ित किसानों ने हंगामा करते हुए सिचाई विभाग से मुआवजे के मांग की है।
पूर्वी यमुना नहर से निकलकर किशनपुर बराल गांव के जंगल से होकर रजवाहा गुजर रहा है। इसकी पटरी काफी जर्जर हालत में हो रही है। बुधवार रात को नजर में पानी अधिक छोड़े जाने के बाद रजवाहे की पटरी टूट गई, जिसके बाद गेहूं, सरसों व गन्ने की लगभग 250 बीघा फसल जलमग्न हो गई। सुबह जानकारी मिलने पर किसानों ने सूचना देकर रजवाहे का पानी बंद कराया। किसानों ने स्वयं ही रजवाहे की पटरी पर मिट्टी डालकर बंद किया। सोहनपाल, दीपक, विनय, सुरेश, अतर सिंह, सागर, रवि, सुबोध, पप्पू आदि किसानों ने बताया कि अधिक पानी आने से रजवाहे में पानी का स्तर बढ़ गया। पानी की जरूरत कम होने से अन्य दिनों के मुकाबले पानी का बहाव तेज चल रहा है। पानी ज्यादा और पटरी जर्जर होने से रजवाहा टूट गया। किसानों ने आरोप लगाया कि सिचाई विभाग के कर्मचारी और लापरवाही का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ा है। पीड़ित किसानों ने रजवाहा टूटने से हुए नुकसान का प्रशासन से मुआवजा दिलाए जाने की मांग की है। सिचाई विभाग के अधिशासी अभियंता संजीव चौधरी ने बताया कि जांच कराई जाएगी कि रजवाहे की पटरी कैसे टूटी है।