कोरोना के बहाने किसानों को कर्ज नहीं दे रहे बैंक
उन किसानों के हौसले की तारीफ करनी होगी जिन्होंने शुगर मिलों से गन्ना भुगतान नहीं हुआ है।
बागपत, जेएनएन। उन किसानों के हौसले की तारीफ करनी होगी, जिन्होंने शुगर मिलों से गन्ना भुगतान और बैंकों से कर्ज नहीं मिलने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी। चीनी मिलों पर 1054 करोड़ रुपये गन्ना भुगतान का बकाया है, तो वहीं बैंकों ने कोरोना के बहाने कृषि कर्ज के वितरण पर ब्रेक लगा रखा है।
अप्रैल और मई में बागपत के बैंकों ने करीब 100 करोड़ रुपये कृषि ऋण बांटा, जो पिछले साल से 66.67 फीसद कम है। पिछले साल उक्त अवधि में 300 करोड़ रुपये कृषि कर्ज बांटा गया था। मई में अनेक बैंक शाखाओं में कोरोना का बहाना बनाकर किसानों से कहना शुरू कर दिया कि सब रजिस्ट्री कार्यालय बंद है, जिससे मार्गेज डीड नहीं हो रही है। सब रजिस्ट्री कार्यालय खुलने पर कर्ज मंजूर हो जाएगा।
यही कारण है कि बैंकों में किसानों की फाइलें धूल फांक रही हैं, क्योंकि कर्ज लेने को किसान क्रेडिट कार्ड जारी नहीं किए जा रहे हैं। वहीं 90 हजार किसानों के किसान क्रेडिट कार्ड पहले से बने हैं, लेकिन उनके कार्ड की अवधि पांच साल हो गई। उनमें अधिकांश का रिन्यूअल अटका है।
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इस हाथ दो और उस हाथ लो
-भाकियू जिलाध्यक्ष चौ. प्रताप सिंह गुर्जर और किसान इंद्रपाल ने कहते हैं कि बैंकों की मनमानी छिपी नहीं है। कोरोना का बहाना बना काफी बैंक स्टाफ ड्यूटी पर नहीं आया। भ्रष्टाचार चरम पर है। बैकों से कर्ज का फार्मूला है कि इस हाथ दो और उस हाथ लो।
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साहूकारों के चक्रव्यूह में अन्नदाता
-किसान साहूकारों से पांच फीसदी माह यानी 60 फीसद वार्षिक ब्याज दर पर कर्ज लेने को मजबूर हैं, जबकि बैंक कर्ज पर किसानों को महज सात फीसद सालाना ब्याज चुकाना होता है।
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कार्यालय बंद ही कब हुआ था
-अधिकांश बैंकों में कोरोना में सब रजिस्ट्री कार्यालय में बंद रहने का बहाना बनाकर किसानों को टरकाया गया है। वहीं सहायक महानिरीक्षक स्टांप रामदयाल का कहना है कि सब रजिस्ट्री कार्यालयों में लगातार काम हो रहा है। कार्यालय बंद ही कब हुआ था?
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-कोरोना काल में गत साल से आधा कर्ज वितरण हुआ है। अब ज्यादा कर्ज वितरण कराकर लक्ष्य पूरा कराएंगे।
-प्रदीप बसंत थोराट, जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक।