लावा ही तरह बह रहा करोड़ों का शीरा, मिल कालोनी से पलायन
बागपत : सूर्य के आग उगलने से सहकारी चीनी मिल के गड्ढों में भरा शीरा ज्वालामुखी का लावा बन गया। लावा
बागपत : सूर्य के आग उगलने से सहकारी चीनी मिल के गड्ढों में भरा शीरा ज्वालामुखी का लावा बन गया। लावा बनकर गड्ढों से बाहर आया शीरा चीनी मिल की कालोनी की ओर बहने लगा तो वहां रहने वाले बा¨शदों व अधिकारियों-कर्मियों में खलबली मच गई। मिल कालोनी के कई घरों को खाली कराकर वहां रहने वाले परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट किया। बाकी परिवारों में दहशत है। मिल को करीब ढाई करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है।
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सहकारी चीनी मिल बागपत में गत कई दिनों से बढ़ती गर्मी के कारण गड्ढों में भरा शीरा बाहर निकल रहा था, लेकिन मिल प्रबंधन तंत्र ने मामला ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया। वहीं शुक्रवार की सुबह प्रात: नौ बजे स्थिति विस्फोटक होने लगी और शीरा गड्ढों से बाहर आकर बहने लगा। गड्ढों से लावा के रूप में बाहर निकल रहा यह शीरा चीनी मिल परिसर में फैलने के बाद पास में ही मिल कालोनी की तरफ बहने लगा। इससे कालोनी वासियों में खलबली मच गई। डर के कारण कर्मी बाबूखान समेत तीन परिवारों ने मकान खाली कर पलायन कर दूसरी जगह शरण ली। हालांकि चीनी मिल अधिकारियों ने मजदूरों तथा जेसीबी मशीन लगाकर मिट्टी की खाई बनाकर बहते शीरे को आगे बढ़ने से रोकने के प्रयास किया। दोपहर दो बजे तक गड्ढों से बाहर आया शीरा जलकर राख बन गया तब कालोनी वासियों और मिल अधिकारियों-कर्मियों ने राहत की सांस ली। दरअसल, चीनी मिल में शीरा स्टाक करने को 1.20 लाख कुंतल क्षमता के स्टील टैंक हैं। अबकी बार शीरा की बिक्री नहीं होने से स्टील के टैंक फुल नहीं होने के बाद चीनी मिल प्रबंधन ने जमीन में तीस-तीस हजार कुंतल क्षमता के पांच गड्ढे खुदवाकर उनमें शीरा भर दिया। अभी चीनी मिल में गन्ना पेराई हो रही है, इसलिए गड्ढों में रोज शीरा भरा जा रहा है। वहीं सूरज के तीखे तेवरों से तापमान बढ़ने से गड्ढों में भरा यह शीरा लावा बनकर उबलने लगा और बाहर निकलने लगा। गड्ढों से निकल रहे शीरा में आग की लपटे उठने से हर कोई सहमा व डरा था।
चीनी मिल के जीएम सुनील कुमार वर्मा ने कहा कि 60 हजार कुंतल से ज्यादा शीरा बहने से ढाई करोड़ रुपये का नुकसान है। कहा कि 46 डिग्री सेल्सियस तापमान से ऊपर जाने के बाद स्टाक किए गए शीरे में खुद आग लगने लगती है। स्टील के टैंक हैं उनके चारों तरफ हम पानी की स्प्रे कराते रहते हैं। स्टील के टैंक फुल होने पर गड्ढों में 1.50 लाख कुंतल शीरा भरा गया। गड्ढों में भरे शीरे का तापमान सामान्य रखने को कोई व्यवस्था नहीं जिससे यह शीरा लावा बनकर बाहर आया और बहने लगा।